वाराणसी: काशी की पहचान प्राचीन मंदिरों, गंगा घाटों व संकरी गलियों से हैं। काशी के उन पुराने मंदिरों को वैभव प्रदान करने की पहल अखाड़ा परिषद ने की है। अखाड़ा परिषद काशी के पुराने मंदिरों को पैसे जुटाकर खरीदेगा। इन मंदिरों का जीर्णोद्धार कराने के साथ ही वहां नियमित राग-भोग लगाया जाएगा।
मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए सनातनधर्मियों और अखाड़ों के सहयोग से विशेष कोष का निर्माण कराया जाएगा। महाकुंभ में होने वाली बैठक में इस मुद्दे पर प्रमुखता के साथ विचार किया जाएगा। दरअसल, बनारस में हिंदू और मुस्लिम मुहल्लों में कई मंदिर स्थित हैं, जिनका वर्णन काशी खंडोक्त में मिलता है। कई मंदिरों में पूजापाठ बंद है। कई मंदिर तो लुप्तप्राय हो चुके हैं।
काशी विद्वत परिषद ने सनातन रक्षक दल के सहयोग से ऐसे मंदिरों की सूची तैयार करने का बीड़ा उठाया है। ऐसे मंदिरों को ढूंढकर उन्हें कब्जामुक्त कराया जाएगा। वहां पूजा-पाठ और राग-भोग की व्यवस्था शुरू कराई जाएगी। मंदिरों को कब्जा मुक्त करने के लिए वर्तमान सर्किल रेट से खरीद की जाएगी।
अखाड़ों के साथ शैव और वैष्णव परंपरा संप्रदाय भी एकमत
काशी विद्वत परिषद ने कोष बनाने को लेकर अखाड़ों से संपर्क किया। इसमें सभी 13 अखाड़े एकमत हैं। वहीं शैव और वैष्णव परंपरा संप्रदाय के लोगों ने भी अपनी सहमति दी है। महाकुंभ में होने वाली बैठक में नया बैंक खाता खोलने पर भी सहमति बन सकती है।
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