तुफैल और हारून जासूसी के आरोप में गिरफ्तार, लखनऊ कोर्ट में होगी पेशी, फोन से मिले 600 पाकिस्तानी नंबर

Ujala Sanchar

लखनऊ: ऑपरेशन सिंदूर के बाद देश में छिपे ‘जासूसों’ के खिलाफ सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई तेज हो गई है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में देश-विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों की धरपकड़ जारी है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधी दस्ते (UP ATS) ने दो संदिग्ध पाकिस्तानी जासूसों को गिरफ्तार किया है।

दिल्ली के सीलमपुर निवासी मोहम्मद हारून और वाराणसी के तुफैल को देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशील जानकारी पाकिस्तान को देने के आरोप में गिरफ्तार किया है। दोनों से पूछताछ जारी है, ताकि उनके नेटवर्क और गतिविधियों का पूरा खुलासा हो सके।

मोहम्मद हारून कैसे बना जासूस?

दिल्ली के सीलमपुर में कबाड़ का कारोबार करने वाले मोहम्मद हारून को यूपी ATS ने नोएडा से गिरफ्तार किया। जांच में सामने आया कि हारून पाकिस्तान उच्चायोग में कार्यरत अधिकारी मुजम्मल हुसैन के संपर्क में था। मुजम्मल को भारत सरकार ने ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित कर 24 घंटे में देश छोड़ने का आदेश दिया था।

ATS के अनुसार, हारून ने अपने कबाड़ के कारोबार की आड़ में देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम दिया। वह पाकिस्तान का वीजा दिलाने के नाम पर लोगों से अवैध धन वसूली करता था और इस पैसे को मुजम्मल के निर्देश पर विभिन्न खातों में ट्रांसफर करता था।

ATS की जांच में पता चला कि हारून ने देश की सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशील जानकारी मुजम्मल को दी। उसके पास से 2 मोबाइल फोन और 16,900 रुपये नकद बरामद किए गए। हारून की पाकिस्तान से गहरी रिश्तेदारी भी सामने आई है। उसकी दूसरी पत्नी पाकिस्तान में रहती है, और वह नियमित रूप से वहां आता-जाता था। हाल ही में वह 5 अप्रैल को पाकिस्तान गया था और 25 अप्रैल को वापस लौटा।

ATS का दावा है कि हारून ने अपनी रिश्तेदारी का फायदा उठाकर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के लिए काम किया। हालांकि, हारून के परिवार ने इन आरोपों से इनकार किया है। हारून के भाई का कहना है कि वह केवल अपनी पत्नी से मिलने पाकिस्तान जाता था, जो उनके रिश्तेदार की बेटी है।

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वाराणसी का तुफैल हनी ट्रैप में फंसा

यूपी ATS ने वाराणसी के जेतपुरा निवासी तुफैल मकसूद को भी जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया है। तुफैल पर आरोप है कि वह भारत की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी 600 से अधिक पाकिस्तानी नंबरों के साथ साझा कर रहा था। जांच में पता चला कि तुफैल का संबंध पाकिस्तान के प्रतिबंधित आतंकी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक से था। वह इस संगठन के नेता मौलाना शाद रिजवी के वीडियो व्हाट्सएप ग्रुप्स में शेयर करता था। इसके अलावा, वह ‘गजवा-ए-हिंद’, बाबरी मस्जिद के बदले की बातें और भारत में शरिया कानून लागू करने से संबंधित उकसाऊ सामग्री भी प्रसारित करता था।

तुफैल ने राजघाट, नमो घाट, ज्ञानवापी, रेलवे स्टेशन, जामा मस्जिद, लाल किला और निजामुद्दीन औलिया जैसे संवेदनशील स्थानों की तस्वीरें और जानकारी पाकिस्तानी नंबरों को भेजी। ATS की जांच में खुलासा हुआ कि तुफैल को ISI ने हनी ट्रैप के जरिए फंसाया था। वह फेसबुक के माध्यम से पाकिस्तान के फैसलाबाद की रहने वाली नफीसा नाम की महिला के संपर्क में आया, जिसका पति पाकिस्तानी सेना में है। नफीसा के जरिए तुफैल ISI के जाल में फंसता गया और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल हो गया।

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