Ganga aarti: गंगा की भव्य पूजा का दिव्य अनुभव

Neha Patel

Updated on:

ganga aarti

गंगा आरती का आयोजन भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में होता है। जहां गंगा नदी के किनारे श्रद्धालु एकत्रित होते हैं। यह एक खास पूजा विधि है जिसमें दीपों, मंत्रोच्चारण और भजन-कीर्तन के माध्यम से माँ गंगा की आराधना की जाती है। गंगा को हिंदू धर्म में पवित्र और मोक्ष प्रदान करने वाली नदी माना जाता है। इसलिए उसकी आरती करने का महत्व और भी बढ़ जाता है। हरिद्वार, वाराणसी और ऋषिकेश जैसे स्थलों पर गंगा आरती देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। आरती के समय पूरा वातावरण एक आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाता है, और ऐसा लगता है मानो माँ गंगा स्वयं भक्तों को आशीर्वाद दे रही हों।

गंगा आरती की शुरुआत शाम के समय होती है जब सूर्यास्त होता है। आरती के दौरान पुरोहित दीप जलाकर गंगा के सामने झूमते हैं और मंत्रों का उच्चारण करते हैं। इस दौरान जलती हुई दीपमालाओं का दृश्य, गंगा का शांत बहाव, और भक्तों की आस्था का संगम एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है। आरती के बाद लोग गंगा में दीप प्रवाहित करते हैं, जिसे आस्था का प्रतीक माना जाता है। इस आरती का उद्देश्य माँ गंगा को सम्मान देना और उनकी कृपा प्राप्त करना है। इसे देखने और अनुभव करने से मन को एक अलग ही शांति और आनंद की अनुभूति होती है।

आरती

ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता !
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता !!
चंद्र सी जोत तुम्हारी, जल निर्मल आता !
शरण पडें जो तेरी, सो नर तर जाता !!
!! ओम जय गंगे माता..!!

See also  साई बाबा आरती : प्रेम, भक्ति और चमत्कारों का संयोग

पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता !
कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता !!
!! ओम जय गंगे माता..!!

एक ही बार जो तेरी, शारणागति आता !
यम की त्रास मिटा कर, परमगति पाता !!
!! ओम जय गंगे माता..!!

आरती मात तुम्हारी, जो जन नित्य गाता !
दास वही सहज में, मुक्त्ति को पाता !!
!! ओम जय गंगे माता..!!

ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता !
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता !!
ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता !

Spread the love

Leave a Comment