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Khatu shyam ji ki aarti: भगवान श्याम की भक्ति से मनोकामनाएं पूरी करने का मार्ग

khatu shyam ji ki aarti

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खाटू श्याम जी की आरती एक प्रसिद्ध भक्ति गीत है जो भगवान श्याम को समर्पित है। श्याम जी को कलियुग के देवता के रूप में पूजा जाता है, और उनके भक्तों का मानना है कि वे हर परिस्थिति में अपने भक्तों का साथ देते हैं। खाटू श्याम जी का मुख्य मंदिर राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गाँव में स्थित है, जहाँ हर साल लाखों भक्त उनकी कृपा प्राप्त करने आते हैं। कहा जाता है कि जो भी श्रद्धालु श्याम जी का सच्चे मन से स्मरण करते हैं, उनकी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं।

इस आरती का पाठ भक्तों में अत्यधिक श्रद्धा और आस्था उत्पन्न करता है। आरती के दौरान श्याम जी के दिव्य स्वरूप और उनके चमत्कारिक गुणों का गुणगान किया जाता है। श्याम जी को श्रद्धा से आरती अर्पित करने पर भक्तों को मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। उनकी आरती में भगवान के विभिन्न नामों और लीलाओं का वर्णन किया गया है, जो भक्तों के मन में भक्ति का संचार करता है और उन्हें भगवान के प्रति अधिक निष्ठावान बनाता है।

आरती

ओम जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे|
खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे||
ओम जय श्री श्याम हरे..
||बाबा जय श्री श्याम हरे||

रतन जड़ित सिंहासन,सिर पर चंवर ढुरे|
तन केसरिया बागो, कुण्डल श्रवण पड़े||
ओम जय श्री श्याम हरे..
||बाबा जय श्री श्याम हरे||

गल पुष्पों की माला, सिर पार मुकुट धरे|
खेवत धूप अग्नि पर, दीपक ज्योति जले||
ओम जय श्री श्याम हरे..
||बाबा जय श्री श्याम हरे||

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मोदक खीर चूरमा, सुवरण थाल भरे|
सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करे||
ओम जय श्री श्याम हरे..
||बाबा जय श्री श्याम हरे||

झांझ कटोरा और घडियावल, शंख मृदंग घुरे|
भक्त आरती गावे, जय-जयकार करे||
ओम जय श्री श्याम हरे..
||बाबा जय श्री श्याम हरे||

जो ध्यावे फल पावे, सब दुःख से उबरे|
सेवक जन निज मुख से, श्री श्याम-श्याम उचरे||
ओम जय श्री श्याम हरे..
||बाबा जय श्री श्याम हरे||

श्री श्याम बिहारी जी की आरती, जो कोई नर गावे|
कहत भक्त-जन, मनवांछित फल पावे||
ओम जय श्री श्याम हरे..
||बाबा जय श्री श्याम हरे||

जय श्री श्याम हरे, बाबा जी श्री श्याम हरे|
निज भक्तों के तुमने, पूरण काज करे||
ओम जय श्री श्याम हरे..
||बाबा जय श्री श्याम हरे||

ओम जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे|
खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे||
ओम जय श्री श्याम हरे..
||बाबा जय श्री श्याम हरे||

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