बिहार भूमि सर्वे में भारी गड़बड़ी: मिर्जापुर गांव के 800 से ज्यादा प्लॉट को बना दिया सरकारी जमीन, ग्रामीणों का आरोप पैसे वसूलने की साजिश

Neha Patel

बिहार भूमि सर्वे

बिहार में चल रहे भूमि सर्वे के दौरान कई जगहों से गड़बड़ियों की खबरें सामने आ रही हैं। ऐसा ही एक मामला जहानाबाद जिले के हुलासगंज प्रखंड के मिर्जापुर गांव से आया है। यहां के ग्रामीणों का आरोप है कि सर्वे के दौरान उनके 800 से अधिक प्लॉट, जो उनकी निजी जमीन है, उसे “अनावाद बिहार सरकार” यानी सरकारी जमीन घोषित कर दिया गया। ग्रामीणों के पास सभी वैध कागजात, जैसे 1914 का खतियान और जमीन का नक्शा मौजूद हैं, फिर भी उनकी जमीनों को सरकारी बता दिया गया।

ग्रामीणों का कहना है कि यह सब जानबूझकर किया गया है ताकि उनसे पैसे वसूले जा सकें। जिन लोगों ने अधिकारियों को रिश्वत दी, उनके काम सही तरीके से हो गए, जबकि बाकी लोगों को अपनी जमीनों के लिए परेशान किया जा रहा है। इस गड़बड़ी के खिलाफ ग्रामीणों ने कई बार शिकायतें दर्ज कराई हैं, लेकिन अभी तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया है। इस मामले में ग्रामीण अब फिर से सर्वे कराने और गड़बड़ी को सुधारने की मांग कर रहे हैं।

सर्वेक्षण की गड़बड़ी पर ग्रामीणों का आक्रोश

मिर्जापुर के निवासी राजेंद्र शर्मा का कहना है कि सर्वे के दौरान अमीन ने गांव के सभी प्लॉटों का निरीक्षण किया और रजिस्टर में जानकारी दर्ज की। अमीन द्वारा तैयार किए गए दस्तावेजों में यह साफ-साफ उल्लेखित है कि कौन सा प्लॉट किसका है। हालांकि, बाद में जब ग्रामीण इस मामले की जानकारी लेने संबंधित कार्यालय पहुंचे, तो उनसे पैसों की मांग की गई।

ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने सभी जरूरी कागजात, जिसमें 1914 का खतियान और जमीन का नक्शा शामिल है, जमा कर दिए थे। बावजूद इसके, सर्वेक्षण में गड़बड़ी कर 800 से अधिक प्लॉटों को सरकारी जमीन दिखा दिया गया। ग्रामीणों का आरोप है कि जिन लोगों ने पैसे दिए, उनका काम सही तरीके से कर दिया गया, जबकि जिन्होंने पैसे नहीं दिए, उनकी जमीनें सरकारी घोषित कर दी गईं।

प्रपत्र 8 और 14 भी नहीं हुए स्वीकार

ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने सर्वेक्षण में हुई गलतियों के खिलाफ आपत्ति दर्ज कराने के लिए प्रपत्र 8 और 14 भरे, लेकिन इसके बावजूद उनकी आपत्ति को नजरअंदाज कर दिया गया। ग्रामीणों का कहना है कि उनकी आपत्तियों को नेट पर भी “जीरो” दिखाया गया, जिससे यह साबित होता है कि अधिकारियों ने जानबूझकर उनके मामले को अनदेखा किया है।

जब ग्रामीणों ने इस गड़बड़ी के बारे में अमीन से शिकायत की, तो उन्हें बताया गया कि यह पूरे गांव की समस्या है और इसे हल करने के लिए उन्हें शिविर प्रभारी के नाम से पिटीशन देनी होगी। ग्रामीणों ने पिटीशन भी दी, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

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खाता खोलने के लिए पैसों की मांग

मिर्जापुर के एक अन्य निवासी अरविंद शर्मा ने कहा कि उनके पूर्वजों ने 16 बीघा जमीन खरीदी थी, जिसके सभी कागजात उनके पास मौजूद हैं। इसके बावजूद उनकी जमीन को सरकारी घोषित कर दिया गया। अरविंद शर्मा का आरोप है कि उनसे 90 डेसिमल जमीन का खाता खोलने के लिए 24 हजार रुपए की मांग की गई थी। उन्होंने कहा कि उनकी शारीरिक स्थिति ठीक नहीं है और इस तरह के भ्रष्टाचार से वे मानसिक रूप से परेशान हैं।

उनका कहना है कि सर्वेक्षण में गड़बड़ी करके अधिकारी लोगों से पैसे वसूलना चाहते हैं, और यह पूरी प्रक्रिया एक सुनियोजित साजिश है।

जिला बंदोबस्त पदाधिकारी का आश्वासन

इस मामले पर ग्रामीणों ने जिला बंदोबस्त पदाधिकारी उपेंद्र प्रसाद से भी मुलाकात की। पदाधिकारी ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि प्रपत्र 20 में सुनवाई के बाद उनकी समस्या का समाधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब प्रपत्र 20 में कोर्ट में सुनवाई होगी, तब दावा-आपत्ति के आधार पर सही निर्णय लिया जाएगा।

पदाधिकारी ने यह भी कहा कि सुनवाई के दौरान सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जाएगा और जो भी त्रुटियां हैं, उन्हें ठीक कर दिया जाएगा। उन्होंने ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि उनकी समस्या का समाधान समय पर कर दिया जाएगा।

बिहार में चल रहे भूमि सर्वेक्षण में हो रही गड़बड़ियों से मिर्जापुर गांव के ग्रामीण काफी परेशान हैं। उनकी जमीनें, जो उनके पास कई पीढ़ियों से हैं और जिनका खतियान व अन्य कागजात उनके पास मौजूद हैं, उन्हें “अनावाद बिहार सरकार” के नाम कर दिया गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि यह सब भ्रष्टाचार के तहत किया गया है ताकि उनसे पैसे वसूले जा सकें।

जिला बंदोबस्त पदाधिकारी द्वारा दिए गए आश्वासन के बावजूद ग्रामीणों को अभी तक कोई ठोस राहत नहीं मिली है। यह मामला बताता है कि बिहार के भूमि सर्वेक्षण में सुधार की कितनी जरूरत है, ताकि लोगों के निजी संपत्ति के अधिकार सुरक्षित रहें और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सके।

अंततः यह आवश्यक है कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले और भूमि सर्वेक्षण के दौरान होने वाली गड़बड़ियों को जल्द से जल्द सुलझाए। इससे न केवल लोगों का विश्वास प्रशासन पर बना रहेगा, बल्कि भूमि से जुड़े विवाद भी कम होंगे।

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