गाजीपुर: समाज में प्रचलित दहेज प्रथा को समाप्त करने की दिशा में गाजीपुर के एक पत्रकार ने एक अनूठी मिसाल पेश की है। सादात थाना क्षेत्र के मिर्जापुर गांव के निवासी एक हिंदी दैनिक अखबार के पत्रकार अजीत पाण्डेय ने बिना दहेज के शादी करने का फैसला किया और बिहार के भोजपुर जिले में प्रेमनाथ पाण्डेय की पुत्री लक्ष्मी पाण्डेय से विवाह किया। अजीत पाण्डेय का यह कदम न केवल समाज में दहेज प्रथा के खिलाफ आवाज उठाता है, बल्कि पर्यावरण की दिशा में भी एक सशक्त पहल है।
दहेज को ठुकराकर नई परंपरा की शुरुआत
यह विवाह समारोह बिल्कुल अलग था, जहां आमतौर पर दहेज की मांग की जाती है, वहीं अजीत पाण्डेय ने न केवल दहेज लेने से मना किया, बल्कि इस अवसर पर शादी के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी कुछ अच्छा करने का निर्णय लिया। अजीत पाण्डेय और उनकी पत्नी लक्ष्मी पाण्डेय ने शादी के दिन वृक्षारोपण किया, जिससे समाज को यह संदेश मिला कि हमें अपनी शादी को पारंपरिक रीति-रिवाजों से हटकर कुछ नया और सार्थक बनाना चाहिए।
दहेज की प्रथा से मुक्त शादी की जरूरत
आशंका बुलेटिन हिंदी दैनिक अखबार के पत्रकार अजीत पाण्डेय ने अपने इस कदम के बारे में कहा, “हमारे समाज में दहेज की परंपरा ने बहुत से परिवारों को कर्ज और मानसिक तनाव में डाल दिया है। मैंने यह तय किया था कि मेरी शादी बिना दहेज के होगी। शादी के लिए कोई कीमत नहीं होनी चाहिए। यह मेरी शादी का उद्देश्य था कि मैं समाज में यह संदेश दूं कि बिना दहेज के भी शादी की जा सकती है।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं चाहता हूं कि मेरे इस कदम से समाज में बदलाव आए, और लोग यह समझें कि दहेज के बिना भी एक सशक्त और खुशहाल जीवन शुरू किया जा सकता है।”
वृक्षारोपण के जरिए पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी
इस शादी में दहेज के खिलाफ कदम उठाने के साथ-साथ अजीत पाण्डेय ने पर्यावरण को लेकर भी अपनी जिम्मेदारी दिखाई। शादी के दिन उन्होंने और उनकी पत्नी ने मिलकर कई वृक्ष लगाए, जिससे न केवल पर्यावरण का संरक्षण हो सके, बल्कि समाज में भी एक जागरूकता फैले कि हम अपनी शादी जैसे खास अवसरों पर कुछ सकारात्मक कदम उठा सकते हैं।
परिवार और समाज का समर्थन
इस अनूठी शादी को लेकर अजीत पाण्डेय के परिवार और समाज के लोगों ने भी उनका समर्थन किया। रिश्तेदारों और दोस्तों ने दहेज के खिलाफ उठाए गए इस कदम की सराहना की और कहा कि यह समाज के लिए एक प्रेरणास्त्रोत है। कई लोगों ने इस बात को स्वीकार किया कि हमें दहेज की परंपरा से बाहर निकलकर समाज में बदलाव लाने के लिए कदम उठाना चाहिए।
समाज में सकारात्मक बदलाव की ओर एक कदम
अजीत पाण्डेय का यह कदम उन सभी युवाओं और परिवारों के लिए प्रेरणा है, जो दहेज की कुप्रथा से जूझ रहे हैं और बदलाव की सोच रखते हैं। यह शादी समाज में एक नई सोच और सकारात्मक बदलाव की शुरुआत हो सकती है, जिससे आने वाली पीढ़ी के लिए एक नई दिशा मिल सके।
अजीत पाण्डेय की यह शादी न केवल दहेज के खिलाफ एक संदेश है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि विवाह सिर्फ एक पारंपरिक कार्य नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक जिम्मेदारी और बदलाव का प्रतीक भी हो सकता है।
इस कदम से यह स्पष्ट है कि अगर समाज में बदलाव लाना है, तो सबसे पहले हमें अपनी सोच और आदतों को बदलना होगा। अजीत पाण्डेय और उनकी पत्नी लक्ष्मी पाण्डेय का यह कदम इस बदलाव की दिशा में एक सकारात्मक पहल है, जिसे हम सभी को अपनी जिंदगी में अपनाना चाहिए।

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