वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में पीएचडी प्रवेश को लेकर जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बार मामला दर्शन एवं धर्म विभाग से सामने आया है, जहाँ तीन छात्र प्रवेश प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए पिछले चार दिनों से विभाग के मुख्य द्वार पर धरने पर बैठे हैं। छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन और विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण उनका भविष्य संकट में पड़ गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, इन तीन छात्रों का चयन भारतीय दर्शन एवं धर्म (आईपीआर) अनुशासन के अंतर्गत हुआ था, जिसे दर्शन विभाग संचालित करता है। लेकिन इन्हें विश्वविद्यालय के महाविद्यालयों में प्रवेश दिया गया, जबकि वहां यह अनुशासन मान्यता प्राप्त नहीं है। यूजीसी की पीएचडी नियमन 2022 के अनुसार यह प्रक्रिया अमान्य है।
शुरुआत में विभाग ने परीक्षा नियंता पर आरोप लगाते हुए कहा कि आईपीआर की आठ सीटें गलत तरीके से महाविद्यालयों में विज्ञापित हो गईं। वहीं परीक्षा नियंता ने जवाबी आरोप लगाते हुए कहा कि अगर सीटें गलत थीं तो विभाग ने प्रवेश से पहले आपत्ति क्यों नहीं दर्ज कराई।
मामला जब कार्यवाहक कुलपति प्रो. संजय कुमार तक पहुंचा, तो उन्होंने तीनों छात्रों को मुख्य परिसर के दर्शन एवं धर्म विभाग में स्थानांतरित करने का आदेश दिया। 21 मई को सहायक कुलसचिव शिक्षण द्वारा यह आदेश विभाग को भेजा गया, लेकिन विभागाध्यक्ष प्रो. दुर्गेश चौधरी और पीएचडी परीक्षा संयोजक प्रो. आर. के. झा ने आदेश को अस्पष्ट और अपर्याप्त बताते हुए 23 मई को पुनः स्पष्टीकरण के लिए परीक्षा नियंता को पत्र भेज दिया।
छात्रों का आरोप है कि अब तक परीक्षा नियंता ने कोई जवाब नहीं दिया है, जिससे उनका शोध निर्देशक का आवंटन भी लंबित है। छात्रों ने चेतावनी दी है कि जब तक स्पष्ट समाधान नहीं निकलता, वे बुधवार से अनिश्चितकालीन धरने पर रहेंगे।
विश्वविद्यालय प्रशासन की चुप्पी और विभागीय टकराव के चलते छात्रों का भविष्य फिलहाल अधर में लटका हुआ है।

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