उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पूरी ताकत झोंक दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर कई बड़े मंत्री और नेता चुनाव प्रचार की कमान संभाले हुए हैं। इस चुनावी जंग में बीजेपी कार्यकर्ता भी जोश से लबरेज़ हैं, लेकिन पार्टी के भीतर टिकट बंटवारे को लेकर जोरदार खींचतान मची हुई है। आइए जानते हैं इस जंग के अंदरूनी पहलुओं के बारे में।
बीजेपी में टिकट बंटवारे की रार
बीजेपी के लिए इस बार का उपचुनाव केवल विपक्ष से लड़ाई तक सीमित नहीं है। इससे पहले ही पार्टी के भीतर टिकट को लेकर संघर्ष छिड़ गया है। कई विधानसभा सीटों पर पार्टी के नेता और कार्यकर्ता खुद एक-दूसरे के खिलाफ हो गए हैं। सबसे ज्यादा खींचतान अंबेडकर नगर की कटेहरी सीट पर देखने को मिल रही है। यहां बीजेपी की स्थानीय इकाई दो हिस्सों में बंट चुकी है, और दोनों गुट एक-दूसरे के खिलाफ पार्टी नेतृत्व को शिकायतें भेज रहे हैं।
प्रदेश संगठन ने इस मुद्दे को शांत करने की पूरी कोशिश की है। यहां तक कि कुछ शिकायतकर्ताओं को प्रदेश मुख्यालय बुलाकर समझाया भी गया, लेकिन विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। इसके अलावा, जब संगठन के पदाधिकारी अंबेडकर नगर के दौरे पर गए, तो उन्होंने भी सभी को शांत रहने की सलाह दी, लेकिन फिर भी विवाद जारी है।
बाहरी उम्मीदवारों पर मंथन
बीजेपी के लिए एक और बड़ी चुनौती बाहरी उम्मीदवारों को टिकट देने की है। कुछ वरिष्ठ नेता लखनऊ से दिल्ली तक अपने पसंदीदा उम्मीदवारों के लिए जोर-शोर से लॉबिंग कर रहे हैं। खासकर कटेहरी, गाजियाबाद, फूलपुर, और मझवां सीटों पर बाहरी लोगों को टिकट दिलाने के लिए बीजेपी के अंदर ही जोर आज़माइश हो रही है।
मीरापुर सीट पर तो स्थिति और भी दिलचस्प है। यहां पूर्व सांसद मलूक नागर और पूर्व विधायक राजपाल सैनी अपने-अपने बेटों के लिए टिकट मांग रहे हैं। वहीं, मौजूदा सांसद चंदन चौहान अपनी पत्नी के लिए टिकट पाने की कोशिश में जुटे हैं।
सहयोगी दलों से अड़चन
बीजेपी के सहयोगी दल भी सीटों के बंटवारे में अपनी-अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है। निषाद पार्टी के अध्यक्ष और राज्य के कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने कटेहरी और मझवां सीट की मांग की है। इसी तरह, राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) ने मीरापुर और खैर सीट पर दावेदारी ठोकी है। इससे बीजेपी के अंदर टिकट बंटवारे पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
कटेहरी और मिल्कीपुर: बीजेपी नेताओं की असली जंग
हालांकि सभी सीटों पर दावेदारी को लेकर संघर्ष हो रहा है, लेकिन असली जंग कटेहरी और मिल्कीपुर सीट पर देखने को मिल रही है। इन दोनों सीटों पर टिकट पाने के लिए पार्टी के कई वरिष्ठ नेता और मंत्री पूरी ताकत लगा रहे हैं। कई नेताओं का मानना है कि अगर इन सीटों पर उन्हें टिकट मिल जाता है, तो उनकी जीत लगभग सुनिश्चित है।
सूत्रों की मानें तो मिल्कीपुर सीट पर एक पूर्व सांसद अपने एक करीबी को चुनाव लड़ाना चाहते हैं, जबकि कटेहरी सीट के प्रभारी मंत्री अपने खासमखास को टिकट दिलाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। पार्टी के कई अन्य पदाधिकारी भी टिकट के लिए लाइन में हैं, जिससे शीर्ष नेतृत्व को निर्णय लेने में कठिनाई हो रही है।
मुख्यमंत्री का फोकस और टिकट की उम्मीदें
कटेहरी और मिल्कीपुर सीटों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विशेष ध्यान दिया है। यही वजह है कि इन सीटों पर दावेदारों की संख्या और उम्मीदें दोनों बढ़ गई हैं। सीएम योगी ने जब से इन सीटों पर चुनावी प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाली है, यहां का राजनीतिक माहौल पूरी तरह बदल गया है। इस बदलाव से पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की उम्मीदें और ज्यादा बढ़ गई हैं, जिससे टिकट के लिए खींचतान और भी तेज हो गई है।
निषाद पार्टी और सहयोगी दलों की चुनौती
कटेहरी में बीजेपी के आधे दर्जन नेताओं के बीच टिकट पाने की होड़ लगी है, लेकिन यहां निषाद पार्टी की भी दावेदारी है। इसके अलावा, मिल्कीपुर में भी कई नेता अपनी दावेदारी मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में बीजेपी नेतृत्व को टिकट बांटने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।
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