उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में इन दिनों भेड़ियों का आतंक फैल चुका है, जिससे इलाके के लोग खौफ में हैं। पिछले कुछ महीनों में भेड़ियों के हमलों में कई लोगों की जान जा चुकी है, खासकर बच्चे इसका शिकार हो रहे हैं। लेकिन अब वन विभाग की टीम ने भेड़ियों को पकड़ने में बड़ी सफलता हासिल की है। चलिए जानते हैं इस पूरे मामले को विस्तार से और कैसे प्रशासन इन हालातों से निपटने की कोशिश कर रहा है।
भेड़ियों के हमलों से दहशत में बहराइच
बहराइच के महसी तहसील क्षेत्र में पिछले कुछ महीनों से भेड़ियों का आतंक छाया हुआ है। इन हमलों में नौ बच्चों समेत 10 लोगों की जान जा चुकी है। खासतौर से 17 जुलाई से 2 सितंबर के बीच, यानी 47 दिनों की अवधि में सात लोगों की मौत हो चुकी है। यह स्थिति इतनी खतरनाक हो चुकी है कि इलाके के लोग अपने घरों से बाहर निकलने से भी डरने लगे हैं।
भेड़ियों का आखिरी हमला 3 सितंबर को गिरधरपुर गांव में हुआ, जिसमें 5 साल की बच्ची अफसाना गंभीर रूप से घायल हो गई। इससे पहले 2 सितंबर को नौवां गरेठी गांव में ढाई साल की अंजलि की मौत हो गई थी। भेड़ियों के हमले से गांववालों के मन में जबरदस्त डर बैठ चुका है।
पांच भेड़िये पकड़े गए
वन विभाग की टीम ने इस खौफनाक स्थिति को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई शुरू की। उनके प्रयासों से अब तक छह भेड़ियों में से पांच को पकड़ लिया गया है। यह वन विभाग की बड़ी सफलता मानी जा रही है, लेकिन भेड़ियों का आतंक पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है, क्योंकि एक भेड़िया अभी भी पकड़ा नहीं जा सका है।
जिला वन अधिकारी (डीएफओ) अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि भेड़िये को पकड़ने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है। इसमें थर्मल ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि भेड़ियों की गतिविधियों पर नज़र रखी जा सके। इसके अलावा, इलाके के निवासियों से भी जानकारी इकट्ठा की जा रही है और भेड़ियों के पैरों के निशान पहचानने पर भी जोर दिया जा रहा है।
गश्त और रैन बसेरों की व्यवस्था
भेड़ियों के हमलों से लोगों को बचाने के लिए प्रशासन ने कई सुरक्षा इंतजाम किए हैं। लगभग 35 प्रभावित गांवों को तीन सेक्टरों में विभाजित किया गया है, और प्रत्येक सेक्टर के लिए अलग-अलग टीमें तैनात की गई हैं। इन टीमों का मुख्य काम भेड़ियों को गांवों में घुसने से रोकना और लोगों को सुरक्षित रखना है।
प्रशासन ने पीएसी (प्रोविंशियल आर्म्ड कांस्टेबुलरी) और वन विभाग की टीमों के साथ-साथ भारी पुलिस बल तैनात कर रखा है। गांवों में सुरक्षा के लिए गश्त बढ़ा दी गई है और रात के समय गांवों के बाहरी इलाकों में पटाखे जलाकर भेड़ियों को दूर रखने की कोशिश की जा रही है। रात्रि गश्त के दौरान इन पटाखों का इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि भेड़िये डरकर वापस जंगल की ओर लौट जाएं।
इसके अलावा, पंचायत भवनों और प्राथमिक विद्यालयों को रैन बसेरों में बदल दिया गया है, ताकि लोग सुरक्षित स्थानों पर रात बिता सकें। यह कदम खासकर उन गांवों के लिए उठाया गया है, जहां भेड़ियों का आतंक सबसे ज्यादा है।
लोगों को सतर्क करने की कोशिशें
भेड़ियों के हमलों से निपटने के लिए वन विभाग द्वारा जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों में गांववालों को यह सिखाया जा रहा है कि भेड़ियों के हमले से कैसे बचा जा सकता है और किन उपायों से वे खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।
वन विभाग की टीम और स्थानीय प्रशासन ने मिलकर एक कमांड सेंटर भी स्थापित किया है, जो चौबीसों घंटे सूचनाएं एकत्रित करता है। इस सेंटर में ग्रामीणों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर कार्रवाई की जाती है। इस कमांड सेंटर के माध्यम से गश्ती दल को निर्देश दिए जाते हैं और जरूरत पड़ने पर तुरंत प्रतिक्रिया की जाती है।
चुनौतियां और आगे की राह
भले ही वन विभाग ने अब तक पांच भेड़ियों को पकड़ने में सफलता पाई है, लेकिन एक भेड़िया अब भी गांववालों के लिए खतरनाक बना हुआ है। भेड़ियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए प्रशासन पूरी तरह सतर्क है, लेकिन यह साफ है कि इलाके के लोग तब तक चैन की सांस नहीं ले पाएंगे, जब तक आखिरी भेड़िया भी पकड़ा नहीं जाता।
वन विभाग और स्थानीय प्रशासन ने हालांकि सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर दिए हैं, लेकिन भेड़ियों का हमला कब और कहां होगा, यह भविष्यवाणी करना मुश्किल है। यही वजह है कि लोगों को ज्यादा से ज्यादा सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है।
हालात सुधरने की उम्मीद
बहराइच के महसी तहसील क्षेत्र में भेड़ियों के हमले से उत्पन्न संकट को देखते हुए प्रशासन ने हर संभव कदम उठाए हैं। हालांकि वन विभाग ने बड़ी कामयाबी हासिल की है, लेकिन इलाके के लोग तब तक पूरी तरह से सुरक्षित महसूस नहीं करेंगे, जब तक सभी भेड़िये पकड़ में नहीं आ जाते।
फिलहाल, जागरूकता कार्यक्रम, गश्त, और ड्रोन जैसी तकनीक का इस्तेमाल करके भेड़ियों पर नजर रखी जा रही है। सरकार की कोशिश है कि इलाके के लोग जल्द से जल्द इस खौफनाक स्थिति से बाहर आ सकें और फिर से सामान्य जीवन जी सकें।
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