दूषित वायु आज पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर समस्या बन चुकी है। बढ़ते हृदय और मस्तिष्क रोग, श्वसन संबंधी बीमारियां, कैंसर और कई अन्य बीमारियों के पीछे वायु प्रदूषण का बड़ा हाथ है। इसका प्रभाव इतना व्यापक हो गया है कि हम सब इसकी चपेट में हैं। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र ने हर साल 7 सितंबर को ‘नीले आकाश के लिए स्वच्छ वायु’ दिवस के रूप में मनाने का संकल्प लिया है। इसका उद्देश्य दुनिया को जागरूक करना और स्वच्छ वायु की दिशा में आवश्यक कदम उठाने के लिए प्रेरित करना है।
वायु प्रदूषण की व्यापक समस्या
विडम्बना यह है कि आज दुनिया की 95 प्रतिशत आबादी उन देशों में रहती है, जहां वायु प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में समझौते तो हुए हैं, परंतु असरदार कदम अब भी नहीं उठाए गए हैं। वायु प्रदूषण को किसी सीमा में नहीं बांधा जा सकता, यह किसी भी देश, क्षेत्र, या शहर की सीमाओं को पार कर जाता है और अपने दुष्प्रभाव छोड़ता है। स्वास्थ्य समस्याओं के साथ-साथ, यह खाद्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और आवासीय चुनौतियों को भी जन्म देता है। वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के बीच गहरा संबंध है, क्योंकि दोनों का मूल कारण कार्बन उत्सर्जन है।
भारत में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति
भारत में वायु प्रदूषण की स्थिति बेहद चिंताजनक है। यहां के लोग विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानक से लगभग 16 गुना अधिक प्रदूषण के संपर्क में आ रहे हैं। वर्ष 2021 में वायु की गुणवत्ता के लिए 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर का मानक तय किया गया था। यदि इस लक्ष्य को प्राप्त किया जाए, तो वायु प्रदूषणजनित बीमारियों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन वास्तविकता यह है कि हम अपने वातावरण को लगातार दूषित कर रहे हैं, चाहे वह धरती हो या आकाश।
वायु प्रदूषण के पीछे कौन जिम्मेदार?
वायु प्रदूषण के लिए दोषारोपण करने से पहले हमें अपने जीवन के दैनिक कार्यों और आदतों पर ध्यान देना चाहिए। वायु प्रदूषण का प्रारंभ हमारे घरों से ही होता है। कई ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में, खाना पकाने और गरम करने के लिए अब भी लकड़ी, गोबर और अन्य जैविक पदार्थों का उपयोग किया जाता है, जो बड़ी मात्रा में प्रदूषण फैलाते हैं। इसी तरह, परिवहन के लिए भी गैरजरूरी और औचित्यहीन साधनों का उपयोग बढ़ रहा है।
परिवहन और वायु प्रदूषण
पिछले कुछ सालों में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में सुधार जरूर हुआ है, लेकिन इसके साथ ही बढ़ते हवाई मार्ग और सड़कें वायु प्रदूषण के नए रास्ते खोल रहे हैं। हवाई परिवहन को सस्ता करने की मांग बढ़ रही है, लेकिन लोग यह नहीं समझते कि हवाई जहाज जीवाश्म ईंधन से चलते हैं और हर ग्राम ईंधन के जलने से तीन गुना कार्बन उत्सर्जन होता है। यह वायु प्रदूषण में भारी योगदान देता है।
सरकार के प्रयास और चुनौतियां
सरकार ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे कि स्वच्छ उत्पादन, वाहन प्रदूषण नियंत्रण, और वायु गुणवत्ता मानकों को लागू करना। हालांकि, अभी भी सफर लंबा है। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि राष्ट्रीय नीतियों और कार्यक्रमों को धरातल तक लाया जाए और इसके लिए आवश्यक क्षमता का विकास किया जाए। चर्चाएं तो खूब होती हैं, परंतु असली क्रियान्वयन न के बराबर होता है।
आम आदमी की भूमिका
सिर्फ सरकार या बड़ी नीतियों के भरोसे बैठे रहना पर्याप्त नहीं है। आम नागरिकों को भी स्वच्छ वातावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। हम में से अधिकतर लोग कहते हैं कि प्लास्टिक का उपयोग नहीं होना चाहिए, कचरे का सही निस्तारण होना चाहिए, और हर वस्तु का अधिकतम उपयोग होना चाहिए। लेकिन असलियत यह है कि हम इन बातों का पालन तब तक नहीं करते, जब तक हमें किसी तरह के दंड का डर न हो।
स्थानीय सरकारों की जिम्मेदारी
स्थानीय सरकारों की भी इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका है। कई जगहों पर खुले में कचरा जलाने से वायु प्रदूषण होता है, लेकिन इस पर सख्त कार्रवाई का अभाव है। इसका एक कारण यह भी है कि कचरा प्रबंधन में लगे कर्मी या एजेंसियां भी इसमें लिप्त होती हैं। इस समस्या के समाधान के लिए कड़े नियम और उनके सख्त पालन की आवश्यकता है।
समाधान: नीला आकाश कैसे प्राप्त करें?
यदि हम फिर से नीला आकाश देखना चाहते हैं, तो हमें अपने दैनिक जीवन में कुछ बड़े और छोटे बदलाव करने होंगे। सबसे पहले, कूड़े का सही तरह से निस्तारण करना होगा और इसे जलाने से बचना होगा। हमें अधिक से अधिक स्थानीय और प्राकृतिक भोजन का सेवन करना चाहिए, जो न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए बल्कि पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है।
सार्वजनिक परिवहन का उपयोग
सार्वजनिक परिवहन का अधिक से अधिक उपयोग करने से वायु प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकता है। यदि हम एक ही कार में यात्रा करने के बजाय बस या मेट्रो जैसी सार्वजनिक सेवाओं का उपयोग करें, तो इससे सड़क पर वाहनों की संख्या घटेगी और प्रदूषण भी कम होगा।
ऊर्जा का सही उपयोग
ऊर्जा का उचित उपयोग भी वायु प्रदूषण को कम करने में सहायक हो सकता है। हमें अपनी बिजली की खपत को कम करना चाहिए और सोलर एनर्जी जैसे नवीकरणीय स्रोतों का अधिक उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा, अपशिष्ट ऊर्जा प्रबंधन भी एक महत्वपूर्ण कदम है, जो वायु प्रदूषण को कम कर सकता है।
व्यक्तिगत बदलाव का महत्व
महात्मा गांधी के शब्दों में, “जो परिवर्तन आप दुनिया में देखना चाहते हैं, वह पहले खुद से शुरू करें।” अगर हम खुद वायु प्रदूषण को रोकने के लिए अपने स्तर पर छोटे-छोटे बदलाव करें, तो इसका व्यापक असर होगा। नीला आकाश केवल एक चाहत नहीं है, इसे पाने के लिए हमें ठोस कदम उठाने होंगे।
निष्कर्ष
स्वच्छ वायु हमारे जीवन के लिए औषधि है। यह न केवल हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है, बल्कि पृथ्वी और पर्यावरण की सुरक्षा भी सुनिश्चित करती है। अब समय आ गया है कि हम व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर वायु प्रदूषण के खिलाफ कदम उठाएं। यदि हम अभी नहीं जागे, तो भविष्य में सांस लेना भी मुश्किल हो जाएगा। इसलिए, आओ मिलकर नीले आकाश की दिशा में एक कदम बढ़ाएं और स्वच्छ वायु के लिए प्रयास करें।
नीला आकाश सिर्फ सपना नहीं, हमारी मेहनत का परिणाम होगा।
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