नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो शक्ति की उपासना और साधना का प्रतीक है। यह पर्व विशेष रूप से देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना के लिए मनाया जाता है। नवरात्रि शब्द का शाब्दिक अर्थ है ‘नौ रात्रियों‘ का पर्व। इस दौरान देवी के नौ रूपों की आराधना की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है। यह पर्व वर्ष में दो बार आता है। एक बार वसंत ऋतु में जिसे ‘चौत्र नवरात्रि‘ कहा जाता है, और दूसरा बार शरद ऋतु में जिसे ‘शारदीय नवरात्रि‘ कहा जाता है। शारदीय नवरात्रि को विशेष महत्व प्राप्त है, जो विशेष रूप से आश्विन महीने में आती है।
इन नौ दिनों में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जो अलग-अलग शक्तियों और गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन रूपों की पूजा से साधक को भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है। आज हम इस आर्टिकल में मॉ दुर्गा के नौ रूपों के बारें में जानने का प्रयास करेंगे।
नवरात्रि के नौ दिन और देवी के नौ रूप
- शैलपुत्री: पर्वतराज हिमालय की पुत्री, जिन्हें देवी पार्वती का रूप माना जाता है। प्रथम दिन इनकी बड़े ही धूम -धाम से Shailputri Mata Aarti के साथ इनकी पूजा की जाती है।
- ब्रह्मचारिणी: तपस्या और संयम की देवी, जिन्होंने कठोर तपस्या करके भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया।
- चंद्रघंटा: शक्ति और शौर्य की देवी, जिनका माथे पर अर्धचंद्र है।
- कूष्मांडा: ब्रह्मांड की सृजनकर्ता देवी, जिन्हें ष्कूष्मांडाष् कहा जाता है।
- स्कंदमाता: भगवान कार्तिकेय की माता, जो अपनी गोद में अपने पुत्र को लेकर बैठी हैं।
- कात्यायनी: ऋषि कात्यायन द्वारा पूजित देवी, जो असुरों का विनाश करती हैं।
- कालरात्रि: अज्ञान और बुराई का नाश करने वाली देवी, जिन्हें अंधकार की शक्ति माना जाता है।
- महागौरी: शांति और समृद्धि की देवी, जिनकी कृपा से सभी कष्टों का नाश होता है।
- सिद्धिदात्री: सभी प्रकार की सिद्धियों की दात्री देवी, जो मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती हैं।
नवरात्रि की पूजा विधि
नवरात्रि की पूजा विधि में विशेष प्रकार की तैयारी और पवित्रता का ध्यान रखा जाता है। भक्त सुबह स्नान करके पवित्र वस्त्र धारण करते हैं और देवी की मूर्ति या तस्वीर के सामने पूजा की जाती है। पूजा के दौरान मां दुर्गा के विभिन्न रूपों का आवाहन किया जाता है और विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है। कलश स्थापना, घटस्थापना और अखंड ज्योत जलाने की परंपरा भी इस पर्व का अहम हिस्सा होती है। पूजा में दुर्गा सप्तशती का पाठ विशेष रूप से किया जाता है, जो देवी दुर्गा की महिमा का वर्णन करता है।
नवरात्रि के दौरान व्रत का भी विशेष महत्व होता है। कई लोग इन नौ दिनों तक निर्जल या फलाहारी व्रत रखते हैं। व्रत के माध्यम से व्यक्ति अपने शरीर और मन को संयमित रखता है और देवी की कृपा प्राप्त करता है।
नवरात्रि शक्ति, साधना और शुद्धि का पर्व है। यह हमें आत्मशक्ति और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति का अवसर देता है। देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करके हम न केवल अपने जीवन में समृद्धि और शांति का आह्वान करते हैं, बल्कि आंतरिक शक्ति और संयम को भी प्राप्त करते हैं। नवरात्रि का यह महापर्व सभी के जीवन में शक्ति, सुख, समृद्धि और शांति लेकर आता है।
पूजा के दौरान भक्तगण Durga Maa Ki Aarti पूरी श्रद्धा के साथ करते हैं।
