हनुमान जी का जन्म एक विशेष अवसर पर मनाया जाता है, जब भक्त अपने आराध्य से कृपा प्राप्त करने के लिए बड़े श्रद्धा भाव से पूजा करते हैं। आइए जानते हैं कि कैसे हुआ पवन पुत्र हनुमान जी का जन्म और उनकी महानता के पीछे की कहानी।
भगवान हनुमान की विशेषता
हनुमान जी को अपने भक्तों पर जल्दी प्रसन्न होने वाले भगवान माना जाता है। उनकी कृपा से भक्तों की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। हनुमान जी को आठ चिरंजीवियों में से एक माना गया है, जो शक्ति और निर्भीकता के प्रतीक हैं। उनके सामने कोई भी बुरी शक्ति टिक नहीं पाती है।
हनुमान जयंती का महत्व
हर साल चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा-पाठ और भंडारे का आयोजन किया जाता है। भक्त जन अपनी श्रद्धा के साथ हनुमान जी का स्मरण करते हैं और उनके प्रति अपने भाव व्यक्त करते हैं।
पौराणिक कथा: भगवान शिव का रुद्र अवतार
पौराणिक कथाओं के अनुसार, हनुमान जी भगवान शिव के 11वें रुद्र अवतार माने जाते हैं। जब भगवान विष्णु ने धरती पर धर्म की स्थापना के लिए भगवान राम का अवतार लिया, तब भगवान शिव ने उनकी सहायता के लिए हनुमान जी के रूप में जन्म लिया।
राजा केसरी और माता अंजना की तपस्या
राजा केसरी और माता अंजना ने बड़ी श्रद्धा से तपस्या की। उनकी तपस्या देखकर भगवान शिव उनसे प्रसन्न हुए और वरदान मांगने के लिए कहा। माता अंजना ने भगवान शिव से एक ऐसा पुत्र मांगा, जो गति में वायु, बल में रुद्र और बुद्धि में गणपति के समान हो।
भगवान शिव की रौद्र शक्ति
भगवान शिव ने माता अंजना की इच्छाओं को सुनकर अपनी रौद्र शक्ति का अंश पवन देव के रूप में यज्ञ कुंड में अर्पित कर दिया। यह शक्ति माता अंजना के गर्भ में प्रविष्ट हुई, और इस प्रकार हनुमान जी का जन्म हुआ।
हनुमान जी का जन्म केवल एक घटना नहीं, बल्कि आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है। उनके प्रति भक्ति रखने वाले हर भक्त को उनकी कृपा प्राप्त होती है, और वे जीवन में आगे बढ़ते हैं।
