माता नैना देवी की आरती का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। नैना देवी को देवी दुर्गा का एक रूप माना जाता है और वे भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली मानी जाती हैं। ऐसा कहा जाता है कि माता नैना देवी के आशीर्वाद से व्यक्ति के जीवन से सभी संकट दूर हो जाते हैं और वह सुख-समृद्धि प्राप्त करता है। माता नैना देवी का नाम उनके दिव्य नेत्रों के कारण पड़ा है, जो भक्तों की रक्षा और देखभाल करते हैं। उनकी आरती के माध्यम से भक्तगण अपने जीवन में शांति, समृद्धि और सुख की कामना करते हैं और माता को श्रद्धा पूर्वक नमन करते हैं।
माता नैना देवी की आरती भक्ति और प्रेम से की जाती है, जिसमें भक्त उनके प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं और उनसे आशीर्वाद की कामना करते हैं। आरती के दौरान माता के शक्ति, करुणा और ममता का गुणगान किया जाता है। आरती के माध्यम से भक्त अपनी परेशानियों से मुक्ति पाने और जीवन में सुख-शांति बनाए रखने के लिए माता नैना देवी से प्रार्थना करते हैं। यह आरती सरल और सहज शब्दों में होती है, जिससे हर कोई इसे आसानी से गा सकता है और इसका आनंद ले सकता है। माता नैना देवी की आरती का नियमित रूप से पाठ करने से भक्तों को उनके आशीर्वाद से जीवन में सफलता और संतोष की प्राप्ति होती है।
आरती
तेरा अदभुत रूप निराला;
आजा! मेरी नैना माई ए ।
तुझपै तन मन धन सब वारूं;
आजा मेरी नैना माई ए ।।
सुन्दर भवन बनाया तेरा;
तेरी शोभा न्यारी ।
नीके नीके खम्भे लागे;
अद्-भुत चित्तर करीतेरा रंग बिरंगा द्वारा ।। आजा
झाँझा और मिरदंगा बाजे;
और बाजे शहनाई ।
तुरई नगाड़ा ढोलक बाजे;
तबला शब्त सुनाई ।
तेरे द्वारे नौबत बाजे ।। आजा
पीला चोला जरद किनारी;
लाल ध्वजा फहराये ।
सिर लालों दा मुकुट विराजे;
निगाह नहिं ठहराये ।
तेरा रूप न वरना जाए ।। आजा
पान सुपारी ध्वजा;
नारियल भेंट तिहारी लागे ।
बालक बूढ़े नर नारी की;
भीड़ खड़ी तेरे आगे ।
तेरी जय जयकार मनावे ।। आजा
कोई गाए कोई बजाए,कोई ध्यान लगाये ।
कोई बैठा तेरे आंगन में,नाम की टेर सुनाये ।
कोई नृत्य करे तेरे आगे ।। आजा
कोई मांगे बेटा बेटी;
किसी को कंचन माया ।
कोई माँगे जीवन साथी;
कोई सुन्दर काया ।
भक्तों किरपा तेरी मांगे ।। आजा









