वाराणसी: बनारस की सांस्कृतिक और धार्मिक गंगा-जमुनी तहजीब का ऐतिहासिक उदाहरण उस समय देखने को मिला जब जगतगंज स्थित बड़े हनुमान मंदिर का ताला 42 साल बाद आखिरकार खोल दिया गया। यह मंदिर वर्ष 1982 में कुछ अवांछनीय तत्वों के हस्तक्षेप और विवाद के चलते बंद कर दिया गया था।
इस स्थान की खास बात यह है कि मंदिर के उसी प्रांगण में गुरु तेग़ बहादुर जी का चरणस्थल भी स्थित है, जहां सिख श्रद्धालु कीर्तन करते हैं और हिंदू भक्त बजरंग बली की पूजा करते हैं। वर्षों से दोनों समुदायों के बीच चल रहे इस स्थान को लेकर विवाद अब कोर्ट के बाहर आपसी सुलह से समाप्त हुआ।
इस सुलह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बाबू जगत सिंह के परिवार की मध्यस्थता ने बड़ी भूमिका निभाई। समझौते के तहत यह निर्णय लिया गया कि एक ही परिसर में मंदिर और गुरुद्वारे दोनों सहअस्तित्व में रहेंगे, जहां एक ओर हनुमान जी की पूजा होगी, वहीं दूसरी ओर कीर्तन-सेवा भी होगी।
अब यह स्थान दोनों समुदायों के लिए श्रद्धा और सौहार्द्र का प्रतीक बनेगा। मंदिर खुलने की खबर के बाद इलाके में खुशी की लहर दौड़ गई। स्थानीय श्रद्धालु बड़ी संख्या में मंदिर पहुंचे और हनुमान जी की आरती व गुरबाणी कीर्तन के साथ परिसर को जीवंत कर दिया।

Author: Ujala Sanchar
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