वाराणसी: जब अधिकांश बच्चे अपने बचपन को खेलकूद और मस्ती में बिताते हैं, उसी उम्र में शहर की बेटी कशिश पटेल समाज में लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जुटी हुई हैं। महज 14 साल की उम्र में कशिश अब तक हजारों छात्राओं को सेल्फ डिफेंस (आत्मरक्षा) का प्रशिक्षण दे चुकी हैं।
कशिश ने केवल 3 साल की उम्र में कराटे की शुरुआत की और 8 साल की उम्र में मानव अकादेमी ऑफ मार्शल आर्ट्स इंडिया से ब्लैक बेल्ट हासिल कर लिया। अब तक वह कई राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में पदक जीत चुकी हैं, कई बार बेस्ट प्लेयर ऑफ टूर्नामेंट भी रही हैं। लेकिन उनके लिए खेल से बड़ा उद्देश्य है — दूसरी लड़कियों को भी मज़बूत और आत्मनिर्भर बनाना।
10 साल की उम्र से दे रही प्रशिक्षण
कशिश ने मात्र 10 साल की उम्र में अपनी सीनियर प्रशिक्षकों के साथ मिलकर स्कूलों में लड़कियों को आत्मरक्षा सिखाना शुरू किया। अब वह सरकारी योजनाओं जैसे ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’, ‘मिशन शक्ति’, और ‘लक्ष्मीबाई आत्मरक्षा योजना’ के अंतर्गत कई स्कूलों में जाकर निःशुल्क प्रशिक्षण देती हैं।
आर्थिक स्थिति साधारण, लेकिन लक्ष्य बड़ा
कशिश की आर्थिक स्थिति भले ही बहुत मजबूत न हो, लेकिन उनके इरादों में कोई कमी नहीं है। उनका सपना है कि हर लड़की को आत्मरक्षा आनी चाहिए, ताकि कोई भी संकट आने पर वह खुद की हिफाज़त कर सके।
उनका कहना है, “अगर मैं कुछ लड़कियों को भी मजबूत बना सकूं, तो मुझे लगेगा मेरा जीवन सार्थक है।”
समाज को दे रहीं नई दिशा
कशिश जैसी बेटियां ना सिर्फ अपने लिए बल्कि समाज के लिए प्रेरणा बन रही हैं। उनके प्रयास यह साबित करते हैं कि बदलाव के लिए उम्र नहीं, जज़्बा चाहिए।

Author: Ujala Sanchar
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