वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) ने अपने विभिन्न विभागों में वर्षों से जमा पुराने और बेकार उपकरणों को स्क्रैप में बेचकर आठ करोड़ रुपये की कमाई की है। करीब 50 हजार वर्ग फीट की जगह को कचरे से मुक्त कराते हुए यह कदम उठाया गया। इनमें लैब और विभागीय कबाड़ के साथ-साथ 10 साल पहले कंडम हो चुकी पुरानी एंबेसडर कार भी शामिल थी। इस प्रयास से विश्वविद्यालय को लगभग 4 करोड़ रुपये की आमदनी हुई।
पिछले तीन वर्षों में BHU ने अपनी आय में 50-60 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। 2020 में 1414 करोड़ रुपये की तुलना में 2024 में आय 2293 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। आय में वृद्धि के लिए विश्वविद्यालय ने सरकारी ग्रांट, रेंट, ट्यूशन फीस और डोनेशन को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया।
कैंपस में स्थित दुकानों के बकाया किराए, बिजली बिल और हॉस्टल फीस की वसूली सुनिश्चित की गई। दुकानों के किराए की दरें बढ़ाई गईं और बकाया वसूली पर जोर दिया गया। जहां पहले किराए से छह से सात करोड़ रुपये की आय होती थी, वहीं 2023-24 में यह आंकड़ा 16 करोड़ तक पहुंच गया।
डोनेशन के जरिए होने वाली आय में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। बीते तीन वर्षों में यह 80 लाख रुपये से बढ़कर पौने चार करोड़ रुपये तक पहुंच गई। विश्वविद्यालय प्रशासन के इन प्रयासों ने न केवल आय बढ़ाई बल्कि संसाधनों के बेहतर उपयोग का मार्ग भी प्रशस्त किया।
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