बिहार में वर्तमान भूमि सर्वे का काम राज्य सरकार के जरिए बहुत तेजी से किया जा रहा है बिहार में जमीन सर्वे याचिका वापस। इस प्रक्रिया को लेकर के कई जगहों पर अस्ति और कहासुनी को भी देखने को मिला है। कुछ समय पहले ही इस सर्वे को रोकने के लिए पटना के हाई कोर्ट में एक याचिका को दायर किया गया था लेकिन शुक्रवार को इस याचिका को ही वापस ले लिया गया। आइए हम इस लेख में इसकी पूरी घटना के बारे मे बात करेंगे और समझेंगे कि क्यों यह याचिका वापस ले ली गई और इससे जुड़े जरूरी पहलू क्या-क्या है।
याचिका का उद्देश्य और दायर करने का कारण
पटना के हाई कोर्ट में यही अच्छी का अधिवक्ता के जरिए से दायर किया गया था। याचिका करता का दावा था कि बिहार में जो जमीन सर्वे प्रक्रिया चल रहा है उसमें बहुत खामियां हैं। इस पर आरोप लगाया गया था कि इस समय में कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया जा रहा है याचिका करता के अनुसार यह है कि सर्वे के बाद भूमि पर कहासुनी बढ़ सकते है। बिहार में जमीन सर्वे याचिक वापस और इससे स्थानीय लोगों को समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है इन खामियों के चलते याचिका में सर्वे पर रोक लगाने के लिए मांग की गई थी।
कोर्ट की सुनवाई और याचिका में कमी
इस याचिक पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई शुक्रवार को हुआ है चीफ जस्टिस के बैच ने इस मामले की समीक्षा को किए हैं सनी के समय कोर्ट ने पाया है की याचिका में जो भी तर्क दिए गए थे वह पर्याप्त नहीं है याचिका में जिस भी बिंदु पर प्रकाश डाला गया था उन्हें कोर्ट ने ना तो कानूनी रूप से ठोस पाया है और ना ही उनके समर्थन में पर्याप्त साध्य को प्रस्तुत किए गए थे।
अधिवक्ता का पक्ष
अधिवक्ता ने कोर्ट में कहां है कि सर्वे की प्रक्रिया में बहुत बड़ी गड़बड़ी है उनका कहना यह था कि सर्वे भविष्य में बहुत बड़े कहासुनी को जन्म दे सकता है क्योंकि इसमें सही फाइल और कानूनी प्रक्रिया को अनदेखा किया जा रहा है हालांकि कोर्ट में आपके इन तारीख को को स्वीकार करने के लिए याचिका में पर्याप्त जानकारी या फिर प्रमाण को नहीं पाया है।
याचिका वापस लेने का निर्णय
पटना हाई कोर्ट के जरिए या कहे जाने के बाद याचिका में पर्याप्त कथन नहीं है अधिवक्ता ने याचिका को वापस लेने का फैसला लिया है इसके पीछे प्रथम वजह यह था की याचिका में प्रस्तुत सामाजिक न्यायालय के मानकों के अनुसार पर्याप्त नहीं था।
कोर्ट का निर्णय
याचिका को वापस लेने के बाद पटना के हाईकोर्ट में इसे खारिज कर दिया था कि आपका कोर्ट में सर्वे की प्रक्रिया को जारी रखने का और याचिका करता के जरिए उठाए गए मुद्दों को भी कानूनी रूप से ठीक नहीं माना जा रहा है।
सर्वे की प्रक्रिया पर उठे सवाल
हालंकि की याचिका को वापस लिया जा चुका है लेकिन फिर भी बिहार में भूमि सर्वे को लेकर के असंतोष अभी भी बना हुआ है राज्य अलग-अलग हिस्सों में आप लोग इस प्रक्रिया को लेकर के आशाए महसूस कर रहे हैं जमीन सर्वे में शामिल अधिकारियों पर आरोप लगाया जा रहा था कि वह खुलापन का पालन नहीं कर रहे हैं और कुछ मामलों में आप लोग की जमीन को गलत तरीके से चिन्हित किया जा रहा है।
भविष्य की चुनौतिया
पटना के हाई कोर्ट ने भले ही इस मामले में याचिका को खारिज कर दिया हो लेकिन फिर भी इससे जुड़े कई सवाल है जिसका उत्तर नहीं दिया गया है भीम के खिलाफ और संतोष को ध्यान में रखते हुए आपके राज्य को या सुनिश्चित करना होगा कि इस सर्वे में कोई भी कानूनी झुक ना हो इसके साथ ही सर्वे के समय स्थानी निवासियों की समस्या का समाधान भी पहले स्थान पर किया जाना चाहिए ताकि आगे चलकर भविष्य में कहासुनी से बचा जा सके।
सर्वे प्रक्रिया में सुधार की संभावनाएं
अगर आपके बिहार सरकार को इस सर्वे को सफलतापूर्वक से पूरा करना है तो उसे जनता की चिताओं को दूर करना पड़ेगा इस तरह की प्रक्रिया में खुलापन और निष्पक्षता बहुत जरूरी होता है स्थानीय जनता को विश्वास में लेकर के काम को करना जरूरी है सरकार अधिकारी इस प्रक्रिया को बिना किसी गलती से खुलापन तरीके से मतलब की पूरा करते हैं तो यह सर्वे राज्य में विकास की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम साबित हो सकता है।