हमारे हिन्दू धर्म में प्रत्येक वर्ष माता क नौ रूपों की पूजा नवरात्री के रूप में मनाई जाती है। हर साल शारदीय नवरात्री अश्विन पद के प्रतिपदा दिन को मनाई जाती है इसी दिन नवरात्री का पहला व्रत किया जाता है। माँ के पूजन के लिए कलश की स्थापना जरूर करनी चाहिए। कलश को स्थापित करने के लिए कुछ चीजे बहुत जरुरी होती है और एक विधि के अनुसार ही कलश की स्थापना की जाती है।
कलश की स्थापना के लिए प्रयोग होने वाली सामग्री
- कलश की स्थापना के लिए हमे मिट्टी का एक कलश ,लकड़ी की छोटी चौकी की चाहिए होता है।
- चौकी पर बिछाने के लिए पीला साफ कपड़ा ,चुनरी .
- गंगाजल ,सिंदूर , लाल रोली , मिट्टी , जौ , सात प्रकार के अनाज
- फल -फूल , पिले और लाल फूल , आम और अशोक का पत्ता , मीठा ,
- गाय का शुद्ध देसी घी ,दिया , सूत की बत्ती , रक्षा सूत्र
कलश की स्थापना की विधि
- कलश के स्थापना के लिए सबसे पहले नवरात्री के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ सुथरे कपडे पहन लेने चाहिए।
- कलश की स्थापना हमेशा उत्तर या उत्तर पूर्व दिशा में करनी चाहिए।
- जिस दिन कलश की स्थापना करना हो उस स्थान को गंगाजल से अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिये
- साफ करने के बाद लकड़ी के चौकी को उस जगह रख कर उसपे साफ पिले कपड़े को बिछा देना चाहिए।
- अब कलश में मिट्टी थोड़ा सा मिट्टी डालकर उसमें जौ के दाने बों दे।
- अब कलश मि सात प्रकार के अनाज और सिक्के और थोड़ा जल डाल दे।
- कलश के ऊपर स्वस्तिक बनाये और उसके गले पर रक्षा सूत्र बांधे।
- इसके बाद कलश पर आम के पत्तियों को रखकर दीप जलाये।
- कलश को स्थापित करके देवी देवताओं को याद करे।
- और इसके बाद पूजा आदि का के कर के सभी में प्रसाद आदि का वितरण करना चाहिए।









