उत्तराखंड कानून को लेकर के मांग उठ रही है जो कि अब आखिरकार राज्य की और प्रशासनिक चर्चाओं का प्रथम हिस्सा बन गया है आपके उत्तराखंड मुख्यमंत्री ने अगले बजट सत्र में एक सशक्त भू कानून को लाने का ऐलान किया है इस कदम ने आपके राज्य के भविष्य और आप सब जनता के हित को लेकर के नए उम्मीद को जगाया है खास करके तब जब भू- कानून और उत्तराखंड जैसे हिमालय राज्य में भू माफिया और बाहरी निवेशकों के जरिए से जमीन की धड़ल्ले से खरीदने और बेचने वाली खबर आम बात हो चुकी है।
भू-कानून की पृष्ठभूमि और जनता की मांग
उत्तराखंड हिमालय राज्य में से एक है जहां पर जमीन को खरीदने और बेचने के लिए कठोर कानून का अभाव बहुत समय से महसूस कर रहे थे साल 2017 के बाद से भू- कानून और उत्तराखंड में बदलाव किया गया है लेकिन आप लोग काफी प्रभावित नहीं साबित हुए हैं इस बीच अध्यक्षता ने बनाया है एक समिति रिपोर्ट तैयार किया है जिसमें भू कानून को सशक्त बनाने के कई सुझाव दिए गए हैं लेकिन दुर्भाग्य यह है कि उसे रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था ऐसे में जो आम जनता है उनके बीच यह धारणा बन गई थी कि सरकार कठोर कानून को बनाने से बच रही है।
2017 के बाद के संशोधन और उनका प्रभाव
2017 में भू कानून में कुछ जरूरी संशोधन किया गया है जो जो प्रथम उद्योग से जुड़े विकास और निवेश को प्रोत्साहित करने के लक्ष्य से थे लेकिन अब यह संशोधन अपेक्षित परिणाम नहीं दे पा रहा है मुख्यमंत्री ने भी अब यह मान लिया है की भूमि कानून में दिए गए शिथिलताओं के बावजूद उद्योग से जुड़े निवेश की दिशा में अपेक्षित प्रगति नहीं हो पा रहा है इसलिए अब इन सब संशोधन पर फिर से विचार करने की बात की जा रही है जरूरत पड़ने पर इन सब संशोधन को समाप्त करने का भी योजना है।
क्या हैं सशक्त भू-कानून के संभावित प्रावधान?
भू – कानून और uttarakhand bhulekh के समिति ने भू कानून को सशक्त बनाने के लिए 23 प्रमुख सिफारिश से की थी जो कि हिमाचल प्रदेश काश्तकारी एवं भूमि के सुधार अधिनियम 1972 की धारा 118 से प्रेरित है समिति की सिफारिश के अनुसार जो बाहरी लोग हैं उनके जरिए जमीन को खरीदने पर रोक लगाने का प्रावधान होना चाहिए ताकि आपके राज्य के कृषि भूमि और स्थानीय निवासियों के अधिकार हमेशा सुरक्षित रहें वर्तमान में राज्य के नगरीय क्षेत्र में जमीन को खरीदने और बेचने पर नियंत्रण बहुत कमजोर है जिसके चलते हैं जो बाहरी लोग हैं और भूमि के माफिया आसानी से जमीन को हड़प लेते हैं।
2017 के बाद की खरीद-फरोख्त और भविष्य की चुनौतियां
आपके उत्तराखंड में 2017 के बाद से ही जमीन को बिना सोचे समझे खरीदना और बेचना शुरू हो गया है खास करके नगरी और आसपास के क्षेत्र में कानून में दिए गए दिल का फायदा उठाते हुए जमीन माफिया और दलालों ने बड़ी मात्रा में भूमि पर कब्जा जमा लिया है जिससे कि 2018 में किए गए एक संशोधन के तहत उत्तराखंड में कई गांव के क्षेत्र नगर निकायों में शामिल करके वहां की जमीन पर खरीदने और बेचने की बंदिश को हटा दिया गया इसका अंजाम यह हुआ कि गढ़वाल मंडल में देहरादून और आसपास के क्षेत्रों में जमीन की दलाली का धंधा तेजी से शुरू हो गया।
सरकार के कदम और जनभावनाएं
मुख्यमंत्री ने जनता को यह विश्वास दिलाया है कि सरकार सशक्त भू कानून को लाने के लिए पूरे तरह से कोशिश में है इस कानून के तहत न केवल बाहरी लोगों के जरिए से जमीन के खरीदारी पर रोक लगाया बल्कि स्थानीय निवासियों के जमीनों की रक्षा भी सुनिश्चित की जाएगी देखना जरूरी होगा कि सरकार इस कानून को कितना प्रभावित तरीके से लागू कर पाती है और क्या वाकई में या कानून राज्य के हित की सुरक्षा कर सकेगा।
भूमि प्रबंधन और सुधार की आवश्यकता
आपके उत्तराखंड विरासत में उत्तर प्रदेश से कई भूमि जुड़े कानून मिले थे जिसमें समय-समय पर बदलाव होते रहते थे लेकिन इन सब कानून में एकरूपता और स्पष्ट का भाव है की भूमि प्रबंधन को लेकर के भी राज्य में कई चुनौतियां हैं भूमि रिकॉर्ड का चालू न होना जमीन की अदला बदली और चकबंदी की प्रक्रिया में भी रुकावटें यह सभी समस्याएं राज्य की भूमि प्रबंधन को बहुत कमजोर बनाती है इसके अलावा पलायन के वजह से कई खेतों में झाड़ियां और जंगल उग गए हैं जिनके बारे में भी बहुत गंभीरता से सोचना जरूरी है।
भू-कानून से राज्य को संभावित फायदे
सशक्त भू कानून और उत्तराखंड को कई फायदे हो सकते हैं सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि राज्य की कृषि भूमि और प्राकृतिक संसाधन में बाहर रहने वाले लोग और भूख माफिया से सुरक्षित रहेंगे इसके साथ ही स्थानीय निवासियों को भी अपने जमीन को बचाने में हेल्प मिलेगा अगर कानून सही तरीके से लागू होता है तो या राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास में भी एक जरूरी भूमिका को निभा सकता है।
आधुनिक भूमि प्रबंधन और सुधार से राज्य की गति को भी बल मिल सकता है अगर सरकार भूमि से जुड़े सभी मुद्दों का सही ढंग से फैसला करती है तो यह कानून राज्य के विकास और समृद्धि की दिशा में एक बहुत जरूरी कदम साबित हो सकता है।
भू-कानून: एक नई उम्मीद
भू कानून के लागू होने से आपके उत्तराखंड में जमीन से जुड़े सभी प्रमुख मुद्दों का समाधान होने की बहुत बड़ी उम्मीद है यह कानून सिर्फ राज्य की जमीनों की सुरक्षा के लिए नहीं है बल्कि आपके राज्य के आर्थिक विकास और जनहित के लिए भी जरूरी है सरकार को इस दिशा में बहुत तेजी और सत्य कम उठाने की जरूरत है ताकि आपके राज्य के जो भूमि है वह हमेशा सुरक्षित रहे और उसका सही तरीके से इस्तेमाल हो सके।