नई दिल्ली/यमन: केरल की रहने वाली भारतीय नागरिक और पेशे से नर्स निमिषा प्रिया को यमन में एक यमनी नागरिक की हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी। लेकिन अब इस मामले में बड़ी राहत मिली है। यमन सरकार ने उनकी फांसी की सजा को पूरी तरह से रद्द कर दिया है, जिससे निमिषा को जीवनदान मिला है।
यह निर्णय यमन के ग्रैंड मुफ्ती शेख अबूबकर मुसलियार और ऑल इंडिया जमीयत उलेमा-ए-हिंद के धार्मिक और नैतिक हस्तक्षेप के बाद लिया गया। इससे पहले यमन की हूती सरकार ने उनकी सजा को अस्थाई रूप से निलंबित किया था।
कौन हैं निमिषा प्रिया?
निमिषा प्रिया केरल की निवासी हैं और 18 वर्ष की उम्र में नर्सिंग की पढ़ाई पूरी कर बेहतर रोजगार के लिए यमन गई थीं। वहां उन्हें सरकारी अस्पताल में नौकरी मिली। बाद में उन्होंने केरल लौटकर टॉमी थॉमस से विवाह किया और एक बेटी हुई। पति और बेटी भारत लौट आए, लेकिन निमिषा यमन में ही रहीं।
उन्होंने एक क्लिनिक खोलने की योजना बनाई और यमनी नागरिक तलाल अब्दो मेहंदी के साथ साझेदारी कर 2015 में क्लिनिक शुरू किया।
हत्या का मामला
कुछ समय बाद मेहंदी ने निमिषा की शादी की तस्वीरें चोरी कर यह प्रचार शुरू कर दिया कि वे दोनों पति-पत्नी हैं। उसने क्लिनिक की कमाई और निमिषा का पासपोर्ट भी जब्त कर लिया, जिससे वे भारत नहीं लौट सकीं।
2017 में पासपोर्ट वापस पाने की कोशिश में निमिषा ने उसे बेहोश करने की कोशिश की, लेकिन दूसरी बार ज्यादा मात्रा में दी गई दवा से मेहंदी की मौत हो गई। घबराकर उन्होंने शव को टुकड़ों में काटकर एक टैंक में छिपा दिया। एक महीने बाद वे सऊदी सीमा के पास गिरफ्तार हो गईं।
कानूनी कार्यवाही और भारत सरकार की पहल:
- 2024 में यमन की अदालत ने निमिषा को फांसी की सजा सुनाई थी।
- 16 जुलाई 2024 को फांसी दी जानी थी, लेकिन भारत सरकार के कूटनीतिक प्रयासों से सजा निलंबित हुई।
- ब्लड मनी प्रस्ताव भी रखा गया, लेकिन मृतक के परिवार ने उसे अस्वीकार कर दिया।
- इसके बाद धार्मिक संगठनों के हस्तक्षेप से यमन सरकार पर दबाव बना और सना में हुई उच्च स्तरीय बैठक में सजा पूरी तरह रद्द कर दी गई।
भारत की कूटनीतिक जीत
यह फैसला भारत सरकार की एक बड़ी कूटनीतिक सफलता मानी जा रही है। यह मामला विदेशों में काम करने वाली भारतीय महिलाओं की सुरक्षा, विदेशी कानूनों की जटिलता, और भारत की वैश्विक स्तर पर बढ़ती कूटनीतिक ताकत को उजागर करता है। हालांकि, यमन में निमिषा प्रिया के खिलाफ अन्य कानूनी कार्यवाहियां अभी भी लंबित हैं।

Author: Ujala Sanchar
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