Search
Close this search box.

काशी होगी कालाजार मुक्त, एक दिसम्बर से चलेगा अभियान, आशाओं द्वारा खोजे जायेंगे मरीज

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]

वाराणसी: जिले से कालाजार उन्मूलन के क्रम में आगामी एक दिसम्बर से काशी विद्यापीठ ब्लाक के गाँव हरपालपुर, केशरीपुर, खुलासपुर और परमानंदपुर, हरहुआ ब्लाक के गाँव बिचलापुर व सेवापुरी ब्लाक के गांव रामडीह, मटुका तथा अर्जुनपुर में सघन अभियान चलाया जायेगा।

आशाओं के द्वारा घर-घर भ्रमण कर 14 दिनों से अधिक के बुखार के मरीजों की लाइन लिस्ट तैयार की जायेगी तथा आर-के 39 किट से जाँच किया जायेगा। साथ ही लोगों को इस रोग के बचाव की जानकारी देते हुए जागरुक भी किया जाएगा। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने दी।

उन्होंने बताया कि डब्ल्यूएचओ ने कालाजार उन्मूलन के लिए 2030 तक का लक्ष्य निर्धारित किया है। वर्तमान में जनपद में कोई भी कालाजार का मरीज चिन्हित नहीं हैं। कालाजार धीरे-धीरे विकसित होने वाला एक देशी रोग है जो एक कोशीय परजीवी या जीनस लेशमेनिया से होता है।

कई वर्षों के बाद यह पीकेडीएल (पोस्ट कालाजार डर्मल लेशमेनियासिस) में बदल जाता है। इसमें मरीज के शरीर पर सफेद दाग या चकत्ते दिखाई देने लगते हैं। ऐसा मरीज रोग के वाहक का कार्य करता है।

जिला मलेरिया अधिकारी डा. शरद चंद पांडेय ने बताया कि गाइड लाइन के अनुसार प्रति 10 हजार की आबादी पर एक से कम केस की स्थिति को कालाजार उन्मूलन का लक्ष्य घोषित किया गया है, जिसे वाराणसी ने अब तक प्राप्त कर लिया है। जिले में केवल दो ही गांव 2019 तक कालाजार प्रभावित रहे हैं।

इनमें से हरपालपुर गांव की आबादी 2,538 है। वहीं 1300 की आबादी वाला अर्जुनपुर गांव 2018 तक कालाजार के प्रभाव में रहा। 2018 में एक मरीज मिला था, जिसका इलाज करते हुए ठीक किया जा चुका है। वर्ष 2019 में दो मरीज व 2020 में केवल एक ही मरीज मिला था, जो अब पूरी तरह ठीक हो चुके हैं।

डीएमओ ने बताया कि कालाजार के वाहक बालू मक्खी को खत्म करने व रोग के प्रसार को कम करने के लिए प्रतिवर्ष दो चरणों में इंडोर रेसीडूअल स्प्रे (आइआरएस) किया जाता है। यह छिड़काव घर के अंदर दीवारों पर छह फीट की ऊंचाई तक होता है। कालाजार के लक्षणों में बुखार अक्सर रुक-रुक कर या तेजी से तथा दोहरी गति से आता है।

भूख न लगना, पीलापन और वजन में कमी जिससे शरीर में दुर्बलता महसूस होती है। प्लीहा (तिल्ली) का अधिक बढ़ जाती है। त्वचा-सूखी, पतली शल्की होती है तथा बाल झड़ सकते हैं। गोरे व्यक्तियों के हाथ, पैर, पेट और चेहरे का रंग भूरा हो जाता है तथा खून की कमी-बड़ी तेजी होने लगती है।

Ujala Sanchar
Author: Ujala Sanchar

उजाला संचार एक प्रतिष्ठित न्यूज़ पोर्टल और अख़बार है जो स्थानीय, राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और अन्य समाचारों को कवर करती है। हम सटीक, विश्वसनीय और अद्यतन जानकारी प्रदान करने के लिए समर्पित हैं।

Leave a Comment

और पढ़ें