छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली 2024: जानिए कब मनाई जाती है और क्या है अंतर

दिवाली 2024 दिवाली हमारे भारत में सबसे बड़ा प्रसिद्ध त्योहार माना जाता है जो कि हर साल पूरे देश में धूमधाम से मनाते हैं यह जो त्यौहार होता है वह एक दिन का नहीं होता है बल्कि यह पूरे 5 दिन तक त्यौहार चलता है इन पांच दिनों में हर एक दिन का अपना अपना खास महत्व होता है और पूजा विधि भी होता है दिवाली के दूसरे और तीसरे दिन को आप लोग छोटी दीवाली और बड़ी दिवाली कहते हैं जिन्हें की खासतौर पर आप लोग बहुत ही उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाते हैं बड़ी दिवाली और छोटी दिवाली।

छोटी दीवाली जिससे हम नकल चतुर्दशी भी कहते हैं यह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी को मानते हैं क्योंकि भगवान श्री कृष्ण के तारकासुर नामक एक राक्षस था जिसे उन्होंने वध किया था यह याद दिलाया था कि दीप जलाना और बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाना है इसके अगले दिन है जो कार्तिक मास की अमावस्या है उसे दिन बड़ी दिवाली मतलब की लक्ष्मी पूजा का पर्व है उसे दिन यह मनाया जाता है इस दिन मां लक्ष्मी भगवान गणेश और कुबेर देव जी भी पूजा होती है जो कि धन समृद्धि और सुख शांति का प्रतीक माना गया है।

दिवाली: पांच दिनों का महोत्सव

दीपावली का जो उत्सव होता है वह धनतेरस से ही शुरू होता है और भाई दूज के दिन खत्म होता है हर एक दिन का अपना एक अलग ही मानता है और इसकी परंपरा भी है धनतेरस के बाद छोटी दीपावली मतलब की नगर चतुर्दशी बड़ी दिवाली है लक्ष्मी पूजा गोवर्धन पूजा और भाई दूज यह जो पांच पर्व है इस महोत्सव के अंग होते हैं छोटी दीवाली बड़ी दिवाली इनमें खास स्थान रखता है और दोनों के बीच में एक साफ-साफ धार्मिक अलग-अलग होता है। जैसे कि आप लोग बहुत ही प्यार से मनाते हैं।

छोटी दिवाली (नरक चतुर्दशी) का महत्व

तिथि और पौराणिक कथा

छोटी दीपावली को आप नरक चतुर्दशी या फिर नरक चौदस भी कहते हैं यह जो पर्व है वह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी तिथि को ही मनाया जाता है हर साल धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने जो नरकासुर नाम का राक्षस था उसका वध किया था जो नरकासुर है 16000 स्त्रियों को कैद करके अपने बस में रखा था और उनके अत्याचार से सभी देवता भी परेशान हो गए थे तो भगवान श्री कृष्ण ने इस रक्षा का अंत करके देवताओं और स्त्रियों को हमेशा के लिए मुक्ति दिला दिया था इस विजय की खुशी में तभी से लेकर के इस दिन को छोटी दिवाली के या पाव जो है बुराई पर अच्छाई के विजय का प्रतीक है आप अपने मां के बुरे विचार को मार करके अच्छे विचारों को अपनाए।

पारंपरिक पूजा और अनुष्ठान

इस दिन आप सभी के घरों में यमराज के नाम से एक दीपक भी जलाया जाता है जिससे कि यंग दीपक भी कहते हैं या जो दीपक है मृत्यु के देवता यमराज के परिवार में किसी भी अनहोनी या फिर आकर मृत्यु से सब की रक्षा हो सके छोटे दीपक जला करके घर और आंगन को भी सजाया जाता है आप लोग सजाते भी होंगे और भगवान श्री कृष्ण की पूजा भी करते हैं इस दिन आप लोग इस दिन तेल से स्नान करके शरीर की शुद्धि भी करते हैं यह जरूरी भी है और अपने घर के हर एक कोने में दीप को जलाएंगे ताकि आपके घर में सभी जो बुरी शक्तियों है उसका नाश हो सके और अच्छी शक्ति प्रवेश कर सके।

बड़ी दिवाली (लक्ष्मी पूजन) का महत्व

तिथि और पौराणिक कथा

बड़ी दिवाली को मुख्य दिवाली या फिर लक्ष्मी पूजा के नाम से हम जानते हैं आप भी जानते होंगे इस कार्तिक माह की अमावस्या तिथि के दिन ही मानते हैं इस दिन का बहुत ही खास महत्व है इसीलिए क्योंकि मान्यता है कि इस दिन जो माता लक्ष्मी है वह धरती पर आए आई थी जो माता लक्ष्मी है वह धन और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं इस दिन वह अपने हर एक भक्त के घर में प्रवेश करती है तो आप उनके स्वागत के लिए घर को दीपक से सजाते हैं और विधिपूर्वक पूरे नियम से पूजा भी करते हैं इससे माता लक्ष्मी खुश होकर के आपके घर में आती है।

इस दिन की अलग ही मानता है यही कि भगवान श्री राम भी 14 साल के बाद जंगल से वनवास काट करके अयोध्या लौटे थे जितने भी अयोध्या के वासी हैं उन्होंने स्वागत के लिए अपने-अपने घरों में पूरा दीपक जलाकर के सजा दिया था और श्री राम के साथ मिलकर के खुशी मनाया था उन्होंने इस दिन मां लक्ष्मी पूजा के साथ-साथ भगवान गणेश की भी पूजा होती है दीपक की जय जगमगाहट है और पटाखे की जो गंज है उस वातावरण आस्था और उल्लास से और भी ज्यादा भर जाता है।

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पारंपरिक पूजा और अनुष्ठान

बड़ी दिवाली के दिन माता लक्ष्मी पूजा का बहुत ही खास महत्व है इस दिन आप अपने घर को साफ सुथरा करते हैं ताकि माता लक्ष्मी जो है वह खुश होकर के आपके घर में वास कर सके आप लोग अपने घर के जो प्रवेश द्वार होते हैं उसे भी रंगोली से बना करके सजा देते हैं और देव से भी सजाते हैं शाम के समय में आप लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति का पूजा भी करते हैं और अपने परिवार के सभी सदस्य के साथ मिलकर के भगवान की आरती भी करेगा ताकि मां लक्ष्मी का आगमन हो सके और आपके घर में सुख समृद्धि का वास हो सके।

2024 में छोटी और बड़ी दिवाली की तिथि

इस साल 2024 में जो छोटी दिवाली है या फिर वह जो नरक चतुर्दशी है 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा इस दिन आप लोग के लिए एक दीपक को जलाते हैं यह परंपरा जो है निभाया जाता है दीपक जलाकर के वहीं पर अगर बड़ी दिवाली है या लक्ष्मी पूजा है तो वह 1 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा इन दोनों दोनों में खास पूजा अर्चना और अनुष्ठान का योजना किया जाएगा।

छोटी और बड़ी दिवाली के बीच मुख्य अंतर

  1. धार्मिक मान्यता

छोटी दीवाली नरकासुर के बाद की खुशी में मनाया जाता है क्योंकि श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था जबकि बड़े दिवाली लक्ष्मी पूजा और भगवान राम के अयोध्या वापस लौटने की याद में मनाया जाता है दोनों पर्वों का धार्मिक महत्व अलग-अलग ही है लेकिन दोनों की बुराई पर अच्छाई के विजय का ही प्रतीक माना गया है भगवान नरक असुर का दोनों ही बुराई पर अच्छाई का जीत है।

  1. तिथि

छोटी दीवाली हमेशा कार्तिक माह की चतुर्दशी तिथि को ही मनाया जाता है जबकि यह जो बड़ी दिवाली होती है वह अमावस्या के दिन मनाया जाएगा इसी प्रकार से दोनों पर्व तिथियों में भी अलग-अलग होता है।

  1. पूजन विधि

आप छोटी दीवाली पर भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते हैं और यमराज के लिए एक तेल का दीपक भी जलते होंगे वहीं पर अगर बड़ी दिवाली हो तो माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा भी करते हैं और अपने घरों को खास रूप से सजा भी देते हैं जबकि देखने में भी बहुत ही सुंदर लगता है।

  1. उत्सव का स्वरूप

छोटी दीपावली का जो स्वरूप है वह बहुत ही आसान होता है जहां पर दीपक जला करके नरकासुर की पराजय का उत्सव मनाया जाता है लकी भगवान श्री कृष्ण से हारा था जबकि बड़े दीपावली का स्वरूप जो होता है बहुत ही भाव और बड़ा होता है जहां आप अपने घर में दीपक को जलाकर के अपने घर को जगमगाते हैं और लक्ष्मी पूजा के बाद आप अपने पूरे परिवार के साथ मिलकर के आनंद का उत्सव भी मानते हैं।

दिवाली का समग्र महत्व

छोटी दीवाली और बड़ी दिवाली दोनों ही दीपावली महोत्सव का एक अलग ही अलग अंग है दोनों त्योहारों का धार्मिक सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व होता है छोटी दीवाली जहां पर हमें बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश देता है और बड़ा दिवाली जो है हमें समृद्धि सुख और सौभाग्य की और प्रेषित करता है दीपों का यह त्यौहार न केवल धार्मिक भावनाओं का प्रतीक होता है बल्कि समाज में प्रेम भाईचारा और उत्सवधर्मिता कभी संजीव एक उदाहरण है।

मेटा डिस्क्रिप्शन

छोटे दिवाली 2024 में 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा आज जो बड़ा दिवाली है वह 1 नवंबर को मनाया जाएगा जानिए कि नरक चतुर्दशी और लक्ष्मी पूजा का धार्मिक महत्व दोनों त्योहारों के बीच का एक अंतर और क्यों है यह बहुत ही खास।

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