Bihar land survey आपके बिहार में भूमि सर्वे एक बहुत जरूरी प्रक्रिया है जो कि राज्य में भूमि कहासुनी को सुलझाने मैं और जमीन के मालिक की सही-सही जानकारी को देने का काम करता है इस सर्वे से न केवल सरकार को राजा वसूली में मदद मिलता है बल्कि भूमि पर अधिकार के मसलों को भी सही तरीके से निपटाया जाता है।
खास करके त्यौहार के मौसम में जब बाहर रहने वाले लोग बिहार अपने घर पर लौट कर आते हैं यह सर्वे और भी प्रासंगिक हो जाता है बिहार से जो बाहर रहते हैं वह लोग घर वापस आते हैं तो इसका फायदा उठाते हुए सरकारी अधिकारी आपको भूमि से जुड़े जानकारी में मदद के लिए प्रेरित करते हैं ताकि सर्वे के प्रक्रिया को सही ढंग से पूरा किया जा सके यह प्रक्रिया न केवल तकनीकि रूप से है बल्कि सामाजिक रूप से भी राज्य में बहुत बड़े बदलाव को नीव रख रहा है।
बिहार भूमि सर्वे से जुड़े कुछ मुख्य बिंदु
- त्योहार के समय बड़ी संख्या में सब लोग अपने-अपने घर को वापस आते हैं जिससे कि आपको भूमि के सर्वे प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर मिलता है।
- सरकार त्यौहार के मौसम का इस्तेमाल करके भूमि के सर्वे की गति को देना चाहती है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग को इसका लाभ मिल सके।
- इस प्रक्रिया से बाहर रहने वाले व्यक्ति की भागीदारी सिर्फ भूमि के कासुनी का समाधान बहुत तेजी से हो सकता है।
- जमीन से जुड़े पुराने का सनी को निपटने के लिए यह बहुत कीमती समय है।
- स्थानीय प्रशासन त्यौहार के मौसम को ध्यान में रखते हुए सर्वे की गति को तेज कर रहे हैं।
बिहार में त्यौहार का समय हमेशा बहुत खास होता है खास करके छठ, दीपावली और दुर्गा पूजा जैसे अवसरों पर उपहार काम करने वाले हजारों लोग अपने-अपने गांव और घर पर वापस आते हैं इन सब त्यौहार के बहाने न सिर्फ परिवार एकजुट होता है बल्कि इस समय का इस्तेमाल कई लोग अन्य जरूरी कामों के लिए भी करते हैं जैसे की भूमि सर्वे
त्योहारों का मौसम और परदेसियों की भीड़
आपके बिहार में इस समय त्यौहार का मौसम है जिसमें की है शारदीय नवरात्रि से लेकर के दीपावली और छत तक एक के बाद एक त्यौहार मनाया जाने वाला है इस अवसर पर बहुत से ऐसे लोग हैं जो की अलग-अलग राज्य और देश में रहते हैं और वह अपने घर वापस आने का फैसला ले रहे हैं इन सब परदेसियों के घर वापस आने का एक प्रथम वजह है बिहार में चल रहा है भूमि सर्वे इस सर्वे का काम बहुत तेजी से चल रहा है और आप लोग इसे पूरा करने के साथ-साथ अपने परिवार के साथ त्यौहार मनाने का भी समय निकाल रहे हैं।
त्योहारों का महापर्व
3 अक्टूबर से लेकर के शारदीय नवरात्रि का शुरुआत हो रहा है इसके बाद दुर्गा पूजा, दीपावली और फिर लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा भी आ रहा है यह सब त्यौहार एक के बाद एक करके आते हैं और हर साल के तरह इस बार भी हर घर में त्योहारों की तैयारी जोरों शोरों से चल रही है सबके घरों की सफाई रंगाई पुताई और फिर मिठाइयों की तैयारी की जा रही है इस बार बाहर रहने वाले एक खास भीड़ आने की उम्मीद है।
भूमि सर्वेक्षण का महत्व
अब भूमि सर्वे में आप सब किसानों से सभी पेपर्स जैस बिहार भूलेख, भू नक्सा बिहार, बिहार दाखिल ख़ारिज आदि को सुधारने के लिए 3 महीने का और समय दिया है इस फैसले ने जो बाहर रहने वाले व्यक्ति हैं उनको अपने-अपने गांव वापस आने का अवसर मिल गया है दिल्ली मुंबई कोलकाता और विदेश में रहने वाले लोग अब त्यौहार को मनाने के साथ साथ इस भूमि सर्वे में भी अपनी भागीदारी को सुनिश्चित कर रहे हैं उनका मुख्य मकसद दिया है कि अपने भूमिका खाता खसरा मिलना है पेपर्स को इकट्ठा करना है और पारिवारिक बैठक में सहमति बनाना है।
भूमि सर्वेक्षण में सक्रिय भागीदारी
बांका जिले में भूमि के सर्वे की प्रक्रिया में अब तक लगभग 1 लाख 23 हजार 500 स्व घोषणा पत्र जमा हो चुका है इस सर्वे का पहला चरण 2020 में शुरू हुआ था जिसमें की बेलहर,कटोरिया, चंदन,फुल्लीडुमर बाराहाट आंचल शामिल थे पहले चरण में 1 लाख 8 हजार 707 किसान अपने स्व घोषणा पत्र को भरे थे जिनमें से अधिकांश लोग ने ऑफलाइन फॉर्म को जमा किया था।
दूसरे चरण का सर्वेक्षण
दूसरे चरण में बांका,अमरपुर, रजौन, धोरैया, शंभुगंज और बौंसी अंचल मैं सर्वे शुरू किया गया है इस चरण में किसानों ने ऑनलाइन स्वघोषणा पत्र को जमा करने में ज्यादा रुचि दिखाई है अब तक दूसरे चरण में कल 14 हजार 793 फॉर्म को जमा किया गया है जिस्म की 8 हजार 921 ने ऑफलाइन और 5 हजार 872 में ऑनलाइन फॉर्म को जमा किया है यह दिखाता है कि लोग इस प्रक्रिया में सक्रियता से भाग ले रहे हैं।
पारिवारिक समागम का महत्व
भूमि सर्वे के बहाने चुप बाहर रहने वाले हैं वह अपने घर वापस केवल पेपर के काम तक सीमित नहीं है यह एक पारिवारिक समागम का भी अवसर है जो बाहर रहने वाले है उनके लिए त्यौहार का समय अपने परिवार के साथ बिताने और परंपराओं को फिर से जीवित करने का होता है भूमि सर्वे के समय परिवारों में बातचीत होता है सहमति बनता है और यह सब पारिवारिक बंदों को मजबूत करता है।
निष्कर्ष
बिहार में भूमि सर्वे के इस खास मौके पर जब बाहर रहने वाले हैं उनका घर लौट कर आना न केवल त्यौहार की खुशियो का भागीदारी बनता है बल्कि या उनके लिए अपने अधिकारों को समझने और भूमि से जुड़े फाइल्स को ठीक करने का भी एक अच्छा मौका है इस प्रकार बिहार की यह भूमि सर्वे प्रक्रिया न केवल प्रशासनिक काम है बल्कि यह सामाजिक समागम का भी अवसर बन रहा है लोग उत्साह के साथ अपने घर वापस आ रहे हैं ताकि वे न केवल त्यौहार का आनंद सके बल्कि भूमि सर्वे में भी अपने भागीदारी को सुनिश्चित कर सके।
इस समय जब आप लोग अपने घर में त्यौहार मनाने के लिए इकट्ठा होते हैं तो यह एक अच्छा अवसर है अपने परिवार के साथ बिताने का जो आगे चलकर के सामुदायिक और पारिवारिक संबंधों को मजबूत करेगा बिहार का या भूमि सर्वे भीम की संदेश राज्य के विकास में एक जरूरी कदम है और यह सब के लिए एक नया आशा और उत्साह लेकर आया है।









