गाजीपुर: श्रावण मास के पहले सोमवार को जिले की ऐतिहासिक और पौराणिक शिवस्थली महाहर धाम में श्रद्धालुओं और कांवड़ियों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। रविवार की अर्धरात्रि से ही गाजीपुर के विभिन्न गंगा घाटों से गेरुआ वस्त्रधारी कांवड़िए हर-हर महादेव के जयघोष के साथ महाहर धाम पहुंचने लगे।
धाम परिसर शिवभक्ति में डूबा नजर आया। शिवभक्तों ने पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ भगवान शंकर पर गंगाजल अर्पित किया। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने भी पूजन-अर्चन और आरती में भाग लिया। इसके बाद कांवड़ियों द्वारा जलाभिषेक का क्रम प्रारंभ हुआ, जो सोमवार सुबह तक चलता रहा।
पौराणिक मान्यता और ऐतिहासिक महत्व
मान्यता है कि महाहर धाम की स्थापना अयोध्या के राजा दशरथ ने की थी। यहीं पर उन्होंने तेरहमुखी शिवलिंग और शिव-पार्वती की युगल मूर्ति की स्थापना की थी। यही वह स्थान माना जाता है जहाँ राजा दशरथ की शब्दभेदी बाणों से श्रवण कुमार के अंधे माता-पिता की मृत्यु हुई थी। यही कारण है कि यह स्थान विशेष रूप से सावन और महाशिवरात्रि पर आस्था का केंद्र बना रहता है।

प्रशासन रहा मुस्तैद
श्रद्धालुओं की भीड़ और सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए। पुलिस बल की भारी तैनाती के साथ-साथ मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरों से निगरानी रखी जा रही है। कांवड़ यात्रा और जलाभिषेक की व्यवस्था को लेकर स्थानीय प्रशासन ने श्रद्धालुओं को सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं।
श्रद्धा, भक्ति और व्यवस्था का अद्भुत संगम
महाहर धाम में सावन के पहले सोमवार को जो दृश्य देखने को मिला, वह आस्था और भक्ति की पराकाष्ठा का प्रतीक रहा। जिला प्रशासन, पुलिस विभाग और मंदिर प्रबंधन समिति ने मिलकर श्रद्धालुओं को एक सुरक्षित और व्यवस्थित दर्शन का अवसर प्रदान किया।

Author: Ujala Sanchar
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