करवा चौथ 2024 पर छलनी से चंद्रमा और पति का चेहरा देखने का धार्मिक महत्व

करवा चौथ 2024 करवा चौथ का पर्व हमारी भारतीय महिलाओं के लिए बहुत ही खास महत्व रखता है इस दिन अपने पति की लंबी आयु और सुख समृद्धि के लिए बिना खाए पिए इस व्रत को रखती है दिनभर। यह पर्व पति-पत्नी के रिश्ते को और भी ज्यादा मजबूत करने का प्रतीक है करवा चौथ के दिन महिलाएं दिन भर बिना अन जल के व्रत को करती हैं और शाम को जब चंद्रमा निकल आता है तब दर्शन करके छलनी के जरिए अपने पति का चेहरा देखकर के व्रत को खोल देती है इस प्रक्रिया का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत सदियों से चला रहा है इसमें के परिवार के सुख सौभाग्य और समृद्धि के आशीर्वाद के लिए कामना की जाती है।

छलनी से चंद्रमा और पति का चेहरा देखने के पीछे एक बहुत ही बड़ा पौराणिक कथा जुड़ा हुआ है ऐसा माना जाता है कि जब चंद्रमा का दर्शन सभी महिलाएं चलने के चलिए से करती है तो यह सब जीवन में हर एक प्रकार के कलंक और कठिनाई यो को देता है इसके बाद शादीशुदा वाली आरती अपने पति का चेहरा देखते हैं तो यह विश्वास किया जाता है कि उनके पति की उम्र लंबी होगी और उनका जब वैवाहिक जीवन है उसमें सुख शांति हमेशा बना रहेगा इसी परंपरा को पूरे भारत में हमारे पास श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है जो कि पति पत्नी के अटूट रिश्ते का प्रतीक है।

करवा चौथ व्रत का महत्व (Karwa Chauth Vrat Ka Mahatva)

करवा चौथ का व्रत हमारे हिंदू धर्म में बहुत ही खास स्थान रखता है इस दिन जितने भी शादीशुदा सुहागन महिलाएं होती हैं वह अपने पति की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन के लिए कामना करते हुए निर्जल व्रत को करते हैं कार्तिक मास के चतुर्थी तिथि को ही यह दिन रखा जाता है यह व्रत शादीशुदा जीवन की समिति और सुख शांति का प्रतीक है जितनी भी आते हैं इस दिन वह सोलह सिंगार करती हैं भगवान से माता पार्वती भगवान गणेश और चंद्रमा की पूजा भी करते हैं और चंद्रमा को अर्क देकर के अपने व्रत को खोल देती है। ऐसी बीमारी है कि अगर आप श्रद्धा पूर्वक इस व्रत को करती है तो आपके पति की आयु बढ़ेगी और आपको सुख वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद भी मिलेगा।

करवा चौथ का शुभ मुहूर्त और तिथि (Karwa Chauth Vrat Shubh Muhurat Aur Tithi)

पंचांग के अनुसार करवा चौथ 2024 में इस बार 20 अक्टूबर को पड़ा है इसी दिन मनाया जाएगा इस दिन की जो चतुर्थी तिथि है सुबह 6:46 पर ही शुरू हो जाएगा और अगले दिन मतलब की 21 अक्टूबर को सुबह 4:30 तक ही रहेगा तिथि के अनुसार व्रत 20 अक्टूबर को रखा जाने वाला है 7:02 तक रहेगा इस समय के समय पूजा और चंद्रमा को आज देना बहुत ही शुभ रहेगा।

छलनी से चंद्रमा और पति का चेहरा देखने की परंपरा (Chhalni Se Chandrama Aur Pati Ka Chehra Dekhne Ki Parampara)

करवा चौथ वाली रात में जितनी भी शादीशुदा औरतें व्रत रखी रहती है वह चंद्रमा के आने का इंतजार करती रहती हैं तो वह व्रत खोलने से पहले चंद्रमा और अपने पति का चेहरा उसे छलनी से देखती है इस प्रथा के पीछे या मानता है कि अगर छलनी में कई ऐसे कई छोटे-छोटे छेद होते हैं जिनमें से चंद्रमा का जो आकर है वह हजारों रूप में नजर आने लगता है इससे जुड़े मानता है कि जितने भी छेद होते है छलनी में उतनी ही बार चंद्रमा के दर्शन से पेट की उम्र जो होती है वह बड़ी होती है इसके बाद आप सब महिलाएं अपने पति का चेहरा भी जल्दी से देख सकती है ताकि आपने पति लंबी उम्र के लिए कामना को पूरी कर सकते हैं संस्कृत प्रतीक है जो की पति पत्नी के बीच का एक अटूट प्रेम और विश्वास को दिखाता है।

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छलनी से चंद्रमा और पति का चेहरा देखने की धार्मिक मान्यता (Chhalni Se Chandrama Aur Pati Ka Chehra Dekhne Ki Dharmik Manyata)

पुराना में चलने से चंद्रमा और पति को देखने की जो कथा है वह जुड़ी हुई है राजा दक्ष ने चंद्रमा को श्राप दे दिया था कि वह छिड़ हो जाए और जो भी उनका दर्शन करेगा उसे पर हमेशा के लिए कलंक लग जाएगा इस श्राप से दुखी होकर के चंद्रमा भगवान जो है वह शंकर भगवान के पास पहुंच जाते हैं और मदद के लिए प्रार्थना करने लगते है और भगवान सिंह ने चंद्रमा को विश्वास दिलाया कि कार्तिक मास की जो चतुर्थी तिथि है उसे दिन चंद्रमा का दर्शन जो भी करेगा उसका सभी दोस्त दुख सब दूर हो जाएगा और उसे कलंक से भी मुक्ति मिल जाएगा इसी वजह से करवा चौथ के दिन पर आप सब महिलाओं को चंद्र दर्शन करके और देना चाहिए जिससे कि उनके सभी दोष खत्म हो जाते हैं और पति की जो आयु होती है वह लंबी हो जाती है।

व्रत खोलने की प्रक्रिया और धार्मिक अनुष्ठान (Vrat Kholne Ki Prakriya Aur Dharmik Anushthan)


करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से लेकर के चंद्रोदय तक बिना खाए पिए निर्जल व्रत रखना होता है इस व्रत की जब पूजा हुई थी हां वह बहुत ही जरूरी है आप सब महिलाएं इस दिन खास तौर पर सोलह श्रृंगार करके पूजा को करेंगे और करवा माता जो है उनकी पूजा करके व्रत की कथा को सुनेंगी जैसे ही चंद्रमा आसमान में उदय हो जाएगा तब आप सब चलने से चंद्रमा का दर्शन करेंगे और फिर अपने पति का भी चेहरा उसे जल्दी से देखेंगे और उनके हाथ से पानी भी पियेंगे इसके बाद ही आपका व्रत पूरा होगा इस प्रक्रिया को बहुत ही पवित्र माना गया है और इसे करने से आपका शादीशुदा जीवन में सुख शांति और समृद्धि आएगी।

करवा चौथ व्रत में चंद्रमा का विशेष महत्व (Karwa Chauth Vrat Mein Chandrama Ka Vishesh Mahatva)

करवा चौथ के व्रत चंद्रमा का बहुत ही खास महत्व है शीतलता और शांति का प्रतीक किसको माना जाता है चंद्रमा के दर्शन और पूजा से आप सब महिलाओं के जीवन में सौभाग्य और शांति आएगा ऐसा भी माना जाता है कि करवा चौथ की पूजा में चंद्रमा के दर्शन करने से आपके जीवन में सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और पति-पत्नी के बीच का जो प्रेम है और विश्वास है वह हमेशा बना रहता है तो इसीलिए इस दिन चंद्रमा की पूजा का बहुत ही खास रूप से महत्व है।

छलनी से देखने का सांस्कृतिक और प्रतीकात्मक महत्व (Chhalni Se Dekhne Ka Sanskritik Aur Pratikatmak Mahatva)

छलनी से चंद्रमा और पति को देखने की एक प्रथा है भारतीय समाज में एक प्रतीकात्मक महत्व भी रखता है न केवल पति-पत्नी के बीच का जो प्रेम है वह पूरा दिखता है बल्कि यह भी बताता है कि आपके जीवन में ऐसे कई चुनौतियां हैं और कठिनाई है उसके बावजूद भी प्रेम और विश्वास कैसे एक जगह टिका रह सकता है छलनी से छेड़ो के जरिए से चंद्रमा के प्रतिबिंब देखेंगे इस बात का प्रतीक है की हर एक चुनौती से बावजूद भी आपके जीवन में रोशनी और खुशी बना रहता है यह परंपरा भारतीय समाज की गहरी जड़े और सांस्कृतिक धरोहर को उजागर करता है जो की पीढ़ी दर पीढ़ी से चलता आ रहा है।

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