Salasar Balaji ki aarti: हनुमान जी के चमत्कारी धाम में भक्तों की श्रद्धा और आस्था

राजस्थान का जो चूरू जिला है वहां पर स्थित एक सालासर धाम है जहां पर कि आप सब जैसे भक्तजन भगवान हनुमान जी के एक अद्भुत मंदिर के रूप में मानते हैं यहां पर जो स्थित हनुमान जी मतलब की बालाजी के नाम से उनको पुकारा जाता है और जो उनका रूप है वह बहुत ही चमत्कारी और शक्तिशाली से अभी पूर्ण माना जाता है यहां के जो स्थान है न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश से जितने भी भक्तजन है जो कि यहां आप अपनी मनोकामना का पूरा करने के लिए वहां पर जाते हैं सालासर बालाजी जो है उनकी आरती में आप सभी भक्तों की श्रद्धा और आस्था का एक सजीव रूप देखने को मिलता है जिससे कि आप सब भक्तों का जो मन है भक्ति में डूब जाता है।

आपको बता दे की बालाजी की आरती को करते समय आप सभी भक्तों की जो आस्था है और प्रेम है उसका एक अद्भुत नजारा देखने को मिलता है अनोखा मतलब एक अलग ही जिससे कि आप सभी भक्तों को आत्मिक शक्ति और शांति प्राप्त होता है सालासर बालाजी की जो आरती है वह एक ऐसा धार्मिक कृत्य है जो कि आप सभी भक्तों को प्रभु के प्रति अपनी आस्था जो है और समर्पण है उसकी ओर और भी ज्यादा मजबूत बना रहता है।

आरती

जयति जय जय बजरंग बाला;
कृपा कर सालासर वाला । टेक ।

चैत सुदी पूनम को जन्मे;
अंजनी पवन ख़ुशी मन में ।

प्रकट भय सुर वानर तन में;
विदित यस विक्रम त्रिभुवन में ।

दूध पीवत स्तन मात के;
नजर गई नभ ओर ।

तब जननी की गोद से पहुंचे;
उदयाचल पर भोर ।

अरुण फल लखि रवि मुख डाला ।। कृपा कर० ।। 1 ।।

तिमिर भूमण्डल में छाई;
चिबुक पर इन्द्र बज बाए ।

तभी से हनुमत कहलाए;
द्वय हनुमान नाम पाये ।

उस अवसर में रुक गयो;
पवन सर्व उन्चास ।

इधर हो गयो अन्धकार;
उत रुक्यो विश्व को श्वास ।

भये ब्रह्मादिक बेहाला ।। कृपा कर ।। 2 ।।

देव सब आये तुम्हारे आगे;
सकल मिल विनय करन लागे ।

पवन कू भी लाए सागे;
क्रोध सब पवन तना भागे ।

See also  Chandraghanta Mata ki aarti : नकारात्मकता से मुक्ति और साहस, शांति प्राप्ति का शक्तिशाली उपाय

सभी देवता वर दियो;
अरज करी कर जोड़ ।

सुनके सबकी अरज गरज;
लखि दिया रवि को छोड़ ।

हो गया जगमें उजियाला ।। कृपा कर ।।3।।

रहे सुग्रीव पास जाई;
आ गये बनमें रघुराई ।

हरिरावणसीतामाई;
विकलफिरतेदोनों भाई ।

विप्ररूप धरि राम को;
कहा आप सब हाल ।

कपि पति से करवाई मित्रता;
मार दिया कपि बाल ।

दुःख सुग्रीव तना टाला ।। कृपा कर ।।4।।

आज्ञा ले रघुपति की धाया;
लंक में सिन्धु लाँघ आया ।

हाल सीता का लख पाया;
मुद्रिका दे बनफल खाया ।

बन विध्वंस दशकंध सुत;
वध कर लंक जलाया ।

चूड़ामणि सन्देश त्रिया का;
दिया राम को आय ।

हुए खुश त्रिभुवन भूपाला ।। कृपा कर ।।5।।

जोड़ कपि दल रघुवर चाला;
कटक हित सिन्धु बांध डाला ।

युद्ध रच दीन्हा विकराला;
कियो राक्षस कुल पैमाला ।

लक्ष्मण को शक्ति लगी;
लायौ गिरी उठाय ।

देई संजीवन लखन जियाये;
रघुवर हर्ष सवाय ।

गरब सब रावन का गाला ।। कृपा कर ।।6।।

रची अहिरावन ने माया;
सोवते राम लखन लाया ।

बने वहाँ देवी की काया;
करने को अपना चित चाया ।

अहिरावन रावन हत्यौ;
फेर हाथ को हाथ ।।

मन्त्र विभीषण पाय आप को ।
हो गयो लंका नाथ ।

खुल गया करमा का ताला ।। कृपा कर ।।7।।

अयोध्या राम राज्य कीना;
आपको दास बना लीना ।

अतुल बल घृत सिन्दूर दीना;
लसत तन रूप रंग भीना ।

चिरंजीव प्रभु ने कियो;
जग में दियो पुजाय ।

जो कोई निश्चय कर के ध्यावै;
ताकी करो सहाय ।

कष्ट सब भक्तन का टाला ।। कृपा कर ।। 8 ।।

भक्तजन चरण कमल सेवे;
जात आय सालासर देवे ।

ध्वजा नारियल भोग देवे;
मनोरथ सिद्धि कर लेवे ।

कारज सारो भक्त के;
सदा करो कल्यान ।

विप्र निवासी लक्ष्मणगढ़ के
बालकृष्ण धर ध्यान ।

नाम की जपे सदा माला;
कृपा कर सालासर ।।9।।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *