Shani dev aarti lyrics : शनि दोष, साढ़ेसाती और समस्याओं से मुक्ति का प्रभावी उपाय

शनि देव की आरती का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। शनि देव को न्याय और कर्म के देवता के रूप में पूजा जाता है, जो व्यक्ति के कर्मों के आधार पर उसे फल प्रदान करते हैं। वे नवग्रहों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं और जीवन में अनुशासन, संयम और संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देते हैं। ऐसा माना जाता है कि शनि देव की कृपा जिस व्यक्ति पर होती है, उसके जीवन में खुशहाली और स्थिरता बनी रहती है। आरती के माध्यम से भक्तगण शनि देव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं और उनसे अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं।

शनि देव की आरती श्रद्धा और भक्तिभाव से की जाती है, जिससे व्यक्ति उनके क्रोध से बच सके और उनकी कृपा प्राप्त कर सके। आरती के दौरान भक्तगण शनि देव से अपनी परेशानियों को दूर करने की विनती करते हैं और अपने जीवन में कठिनाईयों को सुलझाने की शक्ति मांगते हैं। शनि देव की आरती में उनके गुणों का बखान होता है और उनसे जीवन में शांति, समृद्धि और सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना की जाती है। इस आरती का पाठ करने से शनि दोष, शनि साढ़ेसाती और ढैय्या जैसी समस्याओं से भी राहत मिलती है, जिससे जीवन में सकारात्मकता और उन्नति आती है।

आरती

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी |

सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी||

जय जय श्री शनि देव:::::::

श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी|

नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी||

जय जय श्री शनि देव:::::::

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क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी|

मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी||

जय जय श्री शनि देव::::::::

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी|

लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी||

जय जय श्री शनि देव:::::::

जय जय श्री शनि देव:::::::

देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी|

विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी||

जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी||

जय जय श्री शनि देव::::::::

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