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Shri kuber ji ki aarti: धन, समृद्धि और खुशहाली का आह्वान

shri kuber ji ki aarti

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भगवान कुबेर कि हम धन और समृद्धि का देवता भी मानते हैं हमारे भारत के। तीर्थ स्थल में वह बहुत ही जरूरी स्थान भी रखते हैं। भगवान कुबेर जो है वह धन के साथ-साथ समृद्धि और ऐश्वर्या का भी प्रतीक माने गए हैं कुबेर जी का जो वर्णन है वह पुराने से ही किया जा रहा है वह भी विस्तार रूप से जहां के कुबेर जी को भगवान शिव का भक्त और बैकुंठ का रक्षक भी बताया जाता है भगवान कुबेर जी जो है। उनका एक खास स्वरूप है जिसमें कि उन्हें धन के बगीचे के बीच में ही बैठे हुए दीखते हैं और हाथ में धान का जो बर्तन होता है उसके साथ दिखाया जाता है। अगर आप सब भक्त उनकी आरती को गाते हैं तो उनसे धन ऐश्वर्य और खुशहाली के लिए प्रार्थना कर सकते हैं।

कुबेर जी की जो आरती है उसको गाना आप सभी भक्तों के लिए समृद्धि और खुशियों का आवाहन करने का एक बहुत ही आसान और प्रभावी तरीका है या जो आरती है आप सभी भक्तों के मन में अच्छाई और ऊर्जा का संचार करता है यह जो आरती है वह बहुत ही आसान और साधारण शब्दों में लिखा हुआ है। जिसे कि आप सभी लोग आसानी से पढ़ सकते हैं गा सकते हैं यह जो कुबेर जी की आरती है अगर उसका कोई भी व्यक्ति नियमित रूप से पाठ करता है तो उसके जीवन धन सुख और समृद्धि का प्रवाह होता है इस प्रकार से जो कुबेर जी हैं। उनकी आरती न केवल भक्ति का प्रतीक माना गया है बल्कि जीवन में एक ऐश्वर्या और समृद्धि को भी लाने का एक जरिया है।

आरती

जय कुबेर स्वामी;
प्रभु जय कुबेर स्वामी;
हे समरथ परिपूरन |
हे समरथ परिपूरन |
हे अन्तर्यामी ||
ॐ जय कुबेर स्वामी
प्रभु जय कुबेर स्वामी:::::

जय कुबेर स्वामी;
प्रभु जय कुबेर स्वामी;
हे समरथ परिपूरन | (2)
हे अन्तर्यामी |
ॐ जय कुबेर स्वामी
प्रभु जय कुबेर स्वामी:::::

विश्रवा के लाल इदविदा के प्यारे;
माँ इदविदा के प्यारे;
कावेरी के नाथ हो | (2)
शिवजी के दुलारे ।
ॐ जय कुबेर स्वामी
प्रभु जय कुबेर स्वामी::::

मनिग्रवी मीनाक्षी देवी;
नलकुबेर के तात;
प्रभु नलकुबेर के तात
देवलोक में जागृत | (2)
आप ही हो साक्षात ।
ॐ जय कुबेर स्वामी
प्रभु जय कुबेर स्वामी::::

रेवा नर्मदा तट
शोभा अतिभारी
प्रभु शोभा अतिभारी
करनाली में विराजत | (2)
भोले भंडारी |
ॐ जय कुबेर स्वामी
प्रभु जय कुबेर स्वामी::::

वंध्या पूत्र रतन और
निर्धन धन पाये
सब निर्धन धन पाये
मनवांछित फल देते | (2)
जो मन से ध्याये |
ॐ जय कुबेर स्वामी
प्रभु जय कुबेर स्वामी::::::

सकल जगत में तुम ही
सब के सुखदाता
प्रभु सब के सुखदाता
दास जयंत कर वन्दे | (2)
जाये बलिहारी |
ॐ जय कुबेर स्वामी
प्रभु जय कुबेर स्वामी:::::::

जय कुबेर स्वामी;
प्रभु जय कुबेर स्वामी;
हे समरथ परिपूरन |
हे समरथ परिपूरन |
हे अन्तर्यामी ||
ॐ जय कुबेर स्वामी
प्रभु जय कुबेर स्वामी::::

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