टाटा समूह की नई पीढ़ी:महिलाओं का बढ़ता वर्चस्व; लिआ टाटा का सफ़र


आज के समय में महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा साबित कर रही हैं, चाहे वह खेल का मैदान हो या कॉरपोरेट जगत। महिलाएं अब प्रबंध निदेशक और सीईओ जैसे शीर्ष पदों पर भी काबिज हैं। भारत के सबसे धनी परिवारों में से एक, टाटा परिवार की विरासत को आगे बढ़ाने में भी एक महिला का नाम सामने आया है।

कौन हैं लिआ टाटा?


लिआ टाटा, 39 वर्षीय, नोएल टाटा और आलू मिस्त्री की बेटी हैं। नोएल टाटा, टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा के छोटे भाई हैं। लिआ की शैक्षणिक पृष्ठभूमि काफी प्रभावशाली है। उन्होंने मदीद के आईई बिजनेस स्कूल से मार्केटिंग में मास्टर्स किया है। लिआ ने अपने करियर की शुरुआत 2006 में ताज होटल्स रिसॉर्ट्स एंड पैलेसेस में सहायक बिक्री प्रबंधक के रूप में की थी और बाद में वे विकास में सहायक प्रबंधक के पद पर पदोन्नत हो गईं।

कंपनी के बोर्ड में नियुक्ति


लिआ टाटा को हाल ही में टाटा समूह की एक प्रमुख कंपनी के बोर्ड में नियुक्त किया गया है। वे 150 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कंपनी की देखरेख कर रही हैं। लिआ कोलकाता के टाटा मेडिकल सेंटर ट्रस्ट (TMCT) की ट्रस्टी भी हैं, जो एक प्रसिद्ध कैंसर अस्पताल के संचालन की देखरेख करता है।

लिआ की पारिवारिक पृष्ठभूमि


लिआ की मां, आलू मिस्त्री, स्वर्गीय साइरस मिस्त्री की बहन हैं। साइरस मिस्त्री, जो कभी टाटा समूह के अध्यक्ष थे, शापूरजी पल्लोनजी समूह के संस्थापक पल्लोनजी मिस्त्री के बेटे थे। इस प्रकार, लिआ का संबंध दोनों ही टाटा और मिस्त्री परिवारों से है।

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नोएल टाटा की भूमिका


नोएल टाटा, जो लिआ के पिता हैं, ने अपने करियर की शुरुआत टाटा इंटरनेशनल से की थी और बाद में ट्रेंट के प्रबंध निदेशक बने। उनके नेतृत्व में वेस्टसाइड और टाइटन जैसे ब्रांड्स को नई ऊंचाइयां मिलीं।

टाटा परिवार की विरासत


नोएल टाटा, रतन टाटा के छोटे भाई हैं और आलू मिस्त्री से विवाहित हैं, जो साइरस मिस्त्री की बहन हैं। यह परिवारिक गठबंधन टाटा समूह की विरासत को मजबूती प्रदान करता है। रतन टाटा के उत्तराधिकारी के रूप में साइरस मिस्त्री का चयन किया गया था, लेकिन 2016 में उन्हें टाटा संस के प्रमुख पद से हटा दिया गया और रतन टाटा ने फिर से कंपनी की बागडोर संभाली।

नई पीढ़ी का नेतृत्व


लिआ टाटा का कंपनी के बोर्ड में शामिल होना टाटा समूह के भविष्य की दिशा को दिखाता है। महिलाओं के बढ़ते वर्चस्व और नई पीढ़ी के नेतृत्व को देखते हुए, टाटा समूह की यह पहल प्रशंसा के योग्य है।

लिआ टाटा का सफर हमें बताता है कि पारिवारिक विरासत और व्यक्तिगत मेहनत के मेल से नए आयाम स्थापित किए जा सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि वे आने वाले समय में टाटा समूह को किन ऊंचाइयों पर ले जाती हैं।

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