वाराणसी: तिरुपति बालाजी मंदिर में हाल ही में हुई घटना के बाद, देशभर के मंदिरों में प्रसाद की व्यवस्था में बड़े बदलाव करने की योजना बनाई जा रही है। श्री काशी विद्वत परिषद ने निर्णय लिया है कि वह सनातनी हिंदुओं की धार्मिक आस्था के अनुरूप प्रसाद अर्पित करने और ग्रहण करने की प्रक्रिया को पुनर्स्थापित करेगा। इसके लिए अखाड़ा परिषद, अखिल भारतीय संत समिति और संबंधित सरकारी अधिकारियों के सहयोग से नई व्यवस्था लागू की जाएगी।
इस नई व्यवस्था के तहत मंदिरों में पंचमेवा, फल, बताशा और रामदाना को प्रसाद के रूप में चढ़ाने की परंपरा को पुनर्जीवित किया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि भगवान को चढ़ाया जाने वाला प्रसाद शुद्ध और सात्विक हो, और किसी प्रकार की मिलावट या गड़बड़ी से मुक्त हो। काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने कहा कि तिरुपति बालाजी में हुई घटना से 30 करोड़ से अधिक हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं, जिससे प्रसाद व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता उत्पन्न हुई।
प्रो. द्विवेदी ने यह भी बताया कि देश के द्वादश ज्योर्तिलिंगों, देवी मंदिरों और सभी छोटे-बड़े देवालयों में प्रसाद अर्पण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव किया जाएगा। काशी विद्वत परिषद ने पुराणों और सनातनी परंपराओं के अनुसार भगवान को अर्पित किए जाने वाले सात्विक भोग का खाका तैयार किया है। इससे न केवल भक्तों का विश्वास बढ़ेगा, बल्कि प्रसाद की गुणवत्ता भी सुनिश्चित होगी।
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