वाराणसी एक ऐसा शहर है, जिसे धर्म की नगरी के नाम से जाना जाता है। यहां एक से एक मंदिर है, जो आपके दिन को शुभ बना देंगे। हर त्योहार के लिए यहां आपको ऐतिहासिक मंदिर में दर्शन करने का मौका मिल जाएगा। अक्सर भक्तों को त्योहार में भगवान से जुड़े ऐतिहासिक मंदिरों में दर्शन करने का प्लान होता है। दिवाली और छठ पूजा के पर्व के बाद अब विवाहित महिलाओं को तुलसी विवाह के पर्व का इंतजार है।
तुलसी विवाह का पर्व सुख-समृद्धि और सौभाग्य का कारक माना जाता है। इसलिए लोग इस दिन किसी ऐसे मंदिर में दर्शन का प्लान बनाते हैं, जो तुलसी माता से जुड़ा हो। ऐसे में लोग वाराणसी के तुलसी मानस मंदिर में दर्शन करने जाते हैं। भले ही यह मंदिर तुलसी माता से जुड़ा नहीं है, लेकिन तुलसी नाम से जुड़ा होने की वजह से यहां त्योहार पर भक्तों की भीड़ ज्यादा देखी जाती है।
तुलसी मानस मंदिर की खासियत
इस मंदिर की सबसे ज्यादा खूबसूरती यह है कि मंदिर की दीवारों पर रामचरितमानस के दोहे और चौपाइयां लिखी हुई हैं। इस मंदिर का निर्माण 1964 में कलकत्ता के एक व्यापारी द्वारा करवाया गया था, लेकिन इसकी खूबसूरती अभी भी किसी से कम नहीं है। मंदिर में आपको यहां पर भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की मूर्तियां भी देखने को मिल जाएंगी। यह वाराणसी में परिवार के साथ घूमने के लिए अच्छी जगह में से एक है।
कैसे पहुंचे तुलसी मानस मंदिर?
ऐसा माना जाता है कि तुलसीदास जी ने यहां पर रामचरितमानस की रचना की थी। इसलिए ही इस मंदिर का नाम तुलसी मानस मंदिर रखा गया। यह वाराणसी के सबसे सुंदर मंदिर में से एक है।अगर आप दूसरे शहर से आ रहे हैं, तो आप वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन से यहां पहुंच सकते हैं। वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन पहुंचकर दुर्गाकुंड जाएं। रेलवे स्टेशन से दुर्गाकुंड 7 किमी की दूरी के अंदर है। यह मंदिर के आस-पास ज्यादा भीड़ नहीं मिलती।
समय– सुबह 5:30 दोपहर 12 बजे तक जा सकते हैं। लेकिन इसके बाद मंदिर बंद हो जाता है। आप दोपहर के बाद 3:30 से 9 बजे के बीच मंदिर दर्शन के लिए जा सकते हैं।
लोकेशन- संकट मोचन रोड, दुर्गाकुंड रोड, जालान के पास, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
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