Vindheshwari aarti: माँ विंध्येश्वरी देवी की आरती का महत्व और लाभ

विंध्येश्वरी देवी की आरती का धार्मिक महत्व जो है बहुत ही गहरा और जरूरी है हमारी जो देवी बिंदेश्वरी हैं उनका जो निवास है वह उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के जिले में स्थित है विंध्याचल के पर्वत पर माता विंध्येश्वरी को शक्ति साहस और ममता के देवी मानते हैं क्योंकि मां विंधेश्वरी अपने भक्तों के जितने भी कष्ट होते हैं वह सब भर लेते हैं उनके आरती को गाकर के आप सभी भक्तजन मां के प्रति जो भी आपकी भक्ति होती है और श्रद्धा होती है उसको प्रकट करते हैं और आरती के समय पर आप सभी भक्तगण मां विंध्येश्वरी का भी ध्यान करते हैं और फिर उसके बाद उनके महिमा का भी गुणगान करते हैं जिससे ओके आपको मानसिक और आध्यात्मिक शांति का भी अनुभव होता है।

आरती में अगर आप मां विंधेश्वरी की स्तुति करते हैं तो भी आप सभी भक्तों के जीवन भक्ति होती है और आपके जो भी आपके जीवन में सुख समृद्धि है उसकी और आगे भी बढ़ाते हैं यह जो आरती है वह खास ऐसे अवसरों पर किया जाता है जैसे की नवरात्रि चैत्र नवरात्रि और ऐसा कोई भी पर्व हो जो कि आप इसे खास रूप से गाते हैं मां विंधेश्वरी की जो आरती है उसको सुनने से या फिर गाने से आपके मन में श्रद्धा और जो भी संतोष है उसकी भावना उत्पन्न होती है साधारण भाषा में कहे तो यह जो आरती है देवी की महिमा और शक्ति का प्रतिपादन करती है और आप सभी भक्तों को आध्यात्मिक लाभ भी प्रदान करती है।

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आरती

सुन मेरी देवी पर्वतवासनी |
कोई तेरा पार ना पाया माँ ||

पान सुपारी ध्वजा नारियल |
ले तेरी भेंट चढ़ायो माँ ||

सुन मेरी देवी पर्वतवासनी |
कोई तेरा पार ना पाया माँ ||

सुवा चोली तेरी अंग विराजे |
केसर तिलक लगाया ||

सुन मेरी देवी पर्वतवासनी |
कोई तेरा पार ना पाया माँ ||

नंगे पग मां अकबर आया |
सोने का छत्र चडाया ||

सुन मेरी देवी पर्वतवासनी |
कोई तेरा पार ना पाया माँ ||

ऊंचे पर्वत बनयो देवालाया |
निचे शहर बसाया ||

सुन मेरी देवी पर्वतवासनी |
कोई तेरा पार ना पाया माँ ||

सत्युग, द्वापर, त्रेता मध्ये |
कालियुग राज सवाया ||

सुन मेरी देवी पर्वतवासनी |
कोई तेरा पार ना पाया माँ ||

धूप दीप नैवैध्य आर्ती |
मोहन भोग लगाया ||

सुन मेरी देवी पर्वतवासनी |
कोई तेरा पार ना पाया माँ ||

ध्यानू भगत मैया तेरे गुन गाया |
मनवंचित फल पाया ||

सुन मेरी देवी पर्वतवासनी |
कोई तेरा पार ना पाया माँ ||

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