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Vishnu ji aarti: जीवन में सुख-शांति और समृद्धि पाने का सरल उपाय

vishnu ji aarti

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विष्णु भगवान जो है उनको सनातन धर्म में पालन करता के रूप में आप सब पूजा करते हैं विष्णु भगवान जो है सृष्टि के संतुलन और समृद्धि के देवता भी माने जाते हैं जो कि आप सब जैसे भक्तों की विष्णु भगवान रक्षा भी करते हैं और आपके जीवन में सुख शांति और समृद्धि को भी प्रदान करते हैं विष्णु भगवान की अर्चना सी केवल अच्छी ऊर्जा मिलती है बल्कि आपके जीवन के हर एक क्षेत्र में सुख समृद्धि और उन्नति का जो मार्ग है वह खुल जाता है विष्णु भगवान की कृपा से आप सभी भक्तों की जो भी कठिनाई है उन सब चीजों से मुक्ति मिल सकती है और जीवन में जो भी स्थिरता है वह भी आता है।

विष्णु जी की जो आरती है वह बहुत ही जरूरी आध्यात्मिक के साधन है जो कि आप सभी भक्तों के मन में शांति और संतोष को प्रदान करता है इस आरती के समय आप सभी भक्त भगवान विष्णु के गुना को लीलाओं को और उनके द्वारा जो भी किए गए उपकार है उन सभी को याद करते हैं यह जो प्रक्रिया है इससे क्या है कि आप सभी भक्तों में एक खास ऊर्जा और एक आस्था का संचार होता है जिससे कि आप भगवान के प्रति अपनी जो भक्त है उसको और भी ज्यादा मजबूत कर सकते हैं विष्णु जी की आरती गाने से जो भी वातावरण है वह एक सकारात्मक बदलाव महसूस करता है और आप सभी व्यक्ति के जो भी अंदर गलत ऊर्जा है जो भी गलत चीज है उन सभी चीजों का नाश कर देता है।

आरती

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे||
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे||

ॐ जय जगदीश हरे|

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का|
स्वामी दुःख विनसे मन का|
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का||

ॐ जय जगदीश हरे|

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी|
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी|
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी||

ॐ जय जगदीश हरे|

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी|
स्वामी तुम अन्तर्यामी|
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी||

ॐ जय जगदीश हरे|

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता|
स्वामी तुम पालन-कर्ता|
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता||

ॐ जय जगदीश हरे|

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति|
स्वामी सबके प्राणपति|
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति||

ॐ जय जगदीश हरे|

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे|
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे||

ॐ जय जगदीश हरे।

विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा|
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा||

ॐ जय जगदीश हरे|

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे|
स्वामी जो कोई नर गावे|
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे||

ॐ जय जगदीश हरे|

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