Search
Close this search box.

गाजीपुर: रामतेज के धरने से भाजपा में जातीय संतुलन पर सवाल, सत्ता के खिलाफ भाजपाई मंच से उठी आवाज

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]

गाजीपुर: उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में भारतीय जनता पार्टी के भीतर खुदबदाहट खुलकर सामने आने लगी है। सैदपुर तहसील में भाजपा नेता रामतेज पांडेय का धरना, सिर्फ एक प्रशासनिक शिकायत नहीं, बल्कि भाजपा की जातीय और सांगठनिक राजनीति में उपेक्षा के खिलाफ मुखर विरोध के रूप में देखा जा रहा है।

गाजीपुर, जिसे भाजपा की राजनीतिक प्रयोगशाला माना जाता रहा है, वहां वोटों की जातीय खेती हमेशा उर्वर रही है। लेकिन आज हालात यह हैं कि पार्टी के कई पुराने नेता खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। सत्ताधारी नेताओं का लखनऊ में गुणगान जारी है, लेकिन जमीनी कार्यकर्ता और आम जनता मंहगाई, घूसखोरी और नौकरशाही की मनमानी से त्रस्त है।

रामतेज पांडेय का यह धरना सिर्फ प्रशासनिक भ्रष्टाचार के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह भाजपा की जातीय खेमेबंदी क्षत्रिय-भूमिहार व बनिया-ब्राह्मण लॉबी के बीच चल रही रस्साकशी की भी प्रतिध्वनि बन चुका है।

हालांकि इस जिले ने कलराज मिश्र और महेन्द्रनाथ पांडेय जैसे ब्राह्मण दिग्गज नेताओं को जन्म दिया, लेकिन आज भी ब्राह्मण और बनिया नेताओं को संगठन में किनारे लगा दिए जाने की भावना दिख रही है। वर्तमान सरकार के एक ब्राह्मण मंत्री को भी ‘काशीवासी’ कहकर दरकिनार किया जाना इसी पीड़ा का उदाहरण है।

भाजपा में आगामी राष्ट्रीय व प्रदेश अध्यक्ष के चयन को लेकर अंदरूनी रस्साकशी चरम पर है और इसी समीकरण में रामतेज का धरना एक राजनीतिक मोहरे की चाल की तरह देखा जा रहा है।

धरने का परिणाम चाहे जो हो, पर यह स्पष्ट है कि गाजीपुर की भाजपा राजनीति में एक नई धारा बहने वाली है। सत्ता के खिलाफ भाजपा के ही मंच से उठी यह आवाज जनमानस को झकझोर रही है। आम लोग नेता भले साथ न हों, लेकिन इस आवाज को ‘जन आंदोलन’ की शुरुआत मान रहे हैं।

Leave a Comment

और पढ़ें