नई दिल्ली/पटना: देशभर में सोमवार को भारत बंद का व्यापक असर देखा गया। यह बंद 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों के संयुक्त मंच द्वारा बुलाया गया, जिसमें विभिन्न मजदूर संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। केंद्र सरकार की नीतियों, श्रम कानूनों में संशोधन, निजीकरण और महंगाई के खिलाफ देश के कई राज्यों में आंदोलन का असर देखने को मिला।

वहीं बिहार में महागठबंधन के दलों ने राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जारी मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान के विरोध में अलग से बंद का आह्वान किया। महागठबंधन का आरोप है कि यह प्रक्रिया पक्षपातपूर्ण है और बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्गों के नाम सूची से हटाए जा रहे हैं।
बिहार बंद का सबसे ज्यादा असर पटना, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गया और भागलपुर जैसे जिलों में देखा गया। राजद, कांग्रेस, वामपंथी दलों और अन्य घटक दलों के कार्यकर्ताओं ने सुबह से ही सड़कों पर उतरकर ट्रेनों को रोका, बाजार बंद कराए और जगह-जगह जाम लगाया।
उधर, पश्चिम बंगाल, पंजाब, तमिलनाडु, ओडिशा और केरल जैसे राज्यों में भी ट्रेड यूनियनों के बंद का असर देखने को मिला। औद्योगिक क्षेत्रों, रेलवे और बैंकिंग सेवाओं पर भी इसका आंशिक प्रभाव पड़ा।
हालांकि कई स्थानों पर बंद को लेकर सुरक्षा व्यवस्था भी कड़ी की गई थी और प्रशासन की सतर्कता के चलते कहीं से किसी बड़ी अप्रिय घटना की खबर नहीं है।










