लखनऊ: समाजवादी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के छोटे भाई प्रतीक यादव से ₹4 करोड़ की रंगदारी मांगे जाने पर का मामला सामने आया है। आरोप है कि प्रतीक यादव को पॉक्सो एक्ट में फंसाने की धमकी देकर यह रकम मांगी गई। इस मामले में उन्होंने गौतमपल्ली थाने में एफआईआर दर्ज कराई है।
प्रतीक यादव ने तीन लोगों — कृष्णानंद पांडे, वंदना पांडे और अशोक कुमार पांडे — के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। शिकायत के अनुसार, इन तीनों ने ईमेल और व्हाट्सएप के माध्यम से रंगदारी की मांग की और कानूनी फंसाने की धमकी दी।
एफआईआर में दर्ज विवरण के मुताबिक, कृष्णानंद पांडे ने प्रतीक से नजदीकियां बढ़ाकर उन्हें एक रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में निवेश के लिए प्रेरित किया। वर्ष 2015 में एक कंपनी बनाई गई, जिसमें प्रतीक यादव को प्रमोटर और कृष्णानंद को निदेशक बनाया गया। धीरे-धीरे कृष्णानंद ने आर्थिक तंगी का हवाला देकर प्रतीक से उधार लेना शुरू किया।
प्रतीक यादव का यह भी कहना है कि जब वह 2020 में कोविड से पीड़ित थे और 2022 में उनके परिवार में लगातार तीन मौतें (मां, पिता और मामा) हुईं, तो वह मानसिक रूप से बेहद तनाव में थे। इसी दौरान कृष्णानंद और उसके परिवार ने इस स्थिति का फायदा उठाकर बार-बार पैसों की मांग की।
प्रतीक ने आरोप लगाया है कि जब उन्होंने पुराना हिसाब मांगा तो कृष्णानंद और उसकी पत्नी वंदना टालमटोल करने लगे और फिर उन्हें पॉक्सो एक्ट में फंसाने की धमकी देकर ₹4 करोड़ की मांग की गई।
फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। आरोपियों से जल्द पूछताछ की जाएगी। चूंकि यह मामला एक पूर्व मुख्यमंत्री के परिवार से जुड़ा है, इसलिए राजनीतिक हलकों में भी इसकी जोरदार चर्चा हो रही है।










