देवरिया: प्रजापति शोषित समाज संघर्ष समिति (PS4) द्वारा आज बाल अमर शहीद रामचंद्र विद्यार्थी का 83वां शहादत दिवस श्रद्धापूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर समिति ने भारत सरकार और राष्ट्रपति से उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न देने की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपा।
रामचंद्र विद्यार्थी का जन्म 1 अप्रैल 1929 को उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के नौतन हथियागढ़ गांव में हुआ था। उनके पिता बाबूलाल प्रजापति मिट्टी के बर्तन बनाने के कार्य से जुड़े थे। 14 अगस्त 1942 को “भारत छोड़ो आंदोलन” के दौरान, मात्र 13 वर्ष की आयु में उन्होंने स्कूल से बिना बताए देवरिया कचहरी पहुंचकर साहसिक कदम उठाया — ब्रिटिश यूनियन ध्वज को उतारकर उसकी जगह तिरंगा फहरा दिया।

अंग्रेजों ने इस कृत्य पर गोलियां चलाईं, लेकिन वे “भारत माता की जय” का नारा लगाते हुए शहीद हो गए। PS4 प्रमुख डॉ. छेदीलाल निराला ने कहा, “ऐसे वीर दुर्लभ होते हैं जो मातृभूमि के लिए प्राण न्योछावर कर देते हैं। हम मांग करते हैं कि रामचंद्र विद्यार्थी को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया जाए।”
कार्यक्रम में महासचिव राजेश प्रजापति, जिला महासचिव सुनील चौधरी, मंगला प्रसाद, संजीव सिंह (कांग्रेस प्रभारी राम जन्म स्वराज अभियान), राजेंद्र प्रसाद, मनसा राजभर, शिव प्रसाद, बामसेफ के राज नारायण प्रजापति समेत कई वक्ताओं ने अपने विचार रखे और इस मांग का समर्थन किया।

Author: Ujala Sanchar
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