वाराणसी: जनपद की सड़कों पर अव्यवस्था और अवैध गाड़ियों का बोलबाला लगातार बढ़ता जा रहा है। ट्रैफिक सुधार के लिए पुलिस कमिश्नर के अभियान के बावजूद निचले स्तर पर लापरवाही के गंभीर आरोप लग रहे हैं।
सर्कल इंचार्ज पर सवाल
सूत्रों के अनुसार, महीनों से तैनात एक सर्कल इंचार्ज केवल एक हवलदार के सहारे पूरे क्षेत्र की व्यवस्था संभाल रहे हैं। कार्रवाई के नाम पर प्रतिदिन सिर्फ एक-दो परमिट वाली गाड़ियों का ही चालान किया जाता है, जबकि सड़कों पर सैकड़ों अवैध गाड़ियां धड़ल्ले से दौड़ रही हैं। पुलिस कमिश्नर द्वारा मांगी गई रिपोर्ट भी अक्सर अधूरी और अप्रामाणिक बताई जाती है।
फर्जी बारकोड और स्टिकर का खेल
शहर में ट्रैफिक माफिया ने नया हथकंडा अपनाया है। कई ऑटो चालक बारकोड की फोटोकॉपी कराकर गाड़ियों पर चिपका देते हैं और बिना रोक-टोक सवारी भरते हैं। असली और नकली बारकोड में अंतर आसानी से पहचाना जा सकता है, लेकिन कार्रवाई न होना कई सवाल खड़े करता है।
मिलीभगत के आरोप
स्थानीय स्तर पर दलालों और ट्रैफिक कर्मियों की मिलीभगत के आरोप भी सामने आ रहे हैं। नकली पीले स्टीकर लगाकर बाहरी जिलों से आए ऑटो भी वाराणसी की सड़कों पर दौड़ रहे हैं। आरोप है कि छोटे अधिकारी और ट्रैफिक कर्मी माफियाओं को संरक्षण दे रहे हैं, जबकि बड़े अधिकारी या तो अनजान हैं या अनदेखी कर रहे हैं।
जनता की परेशानी
- ऑटो स्टैंड पर अव्यवस्था और मनमाना किराया।
- वैध ऑटो चालकों को आर्थिक नुकसान।
- लगातार जाम से जनजीवन प्रभावित।
- दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ा।
जनता की मांग
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यदि पुलिस कमिश्नर या डीआईजी अचानक किसी व्यस्त सड़क या चौराहे पर औचक निरीक्षण करें तो पूरा खेल बेनकाब हो जाएगा। लोग मांग कर रहे हैं कि लापरवाह और संलिप्त अधिकारियों के खिलाफ तुरंत मुकदमा दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाए।
उठते सवाल
- क्या एक हवलदार के सहारे पूरे सर्कल की ट्रैफिक व्यवस्था चल सकती है?
- सर्कल इंचार्ज की कार्यकुशलता पर सवाल क्यों न उठे?
- यह लापरवाही है या मिलीभगत?
- नकली स्टिकर और बारकोड रोकने के लिए ठोस कदम कब उठाए जाएंगे?

Author: Ujala Sanchar
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