वाराणसी: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आह्वान पर बिजलीकर्मियों का विरोध प्रदर्शन 279वें दिन भी वाराणसी में जारी रहा। समस्त कार्यालयों पर जुटे बिजलीकर्मियों ने बिजली निजीकरण और स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की प्रक्रिया को घोटाला बताते हुए गंभीर आशंका जताई।

मुख्य आरोप और आशंकाएँ
- सही मीटर बदलकर स्क्रैप बनाने और उसकी जगह स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का आरोप।
- इन मीटरों की लागत और इंस्टॉलेशन का पूरा खर्च कॉरपोरेशन पर कर्ज के रूप में डालकर घाटा दिखाने की साजिश।
- स्मार्ट मीटर घोटाले के चलते 1.15 लाख करोड़ रुपये के बकाए बिजली राजस्व के डूबने का खतरा।
- सीतापुर, गोंडा आदि जिलों में स्मार्ट मीटर घोटाले के मामले सामने आने का हवाला।
संघर्ष समिति का दावा
संघर्ष समिति ने कहा कि वर्तमान में उपभोक्ताओं पर लगभग 1.15 लाख करोड़ रुपये बिजली राजस्व का बकाया है। यदि यह वसूली हो जाए तो पावर कॉरपोरेशन घाटे में नहीं बल्कि 5 हजार करोड़ रुपये के मुनाफे में आ सकता है।

समिति ने आरोप लगाया कि 34 लाख स्मार्ट मीटर लगाए गए, जिनमें से लगभग 6 लाख मीटर अब तक वापस नहीं हुए हैं। कितने मीटरों की पुरानी रीडिंग शून्य की गई या नष्ट की गई, यह जांच का विषय है।
निजीकरण की तैयारी का आरोप
समिति ने कहा कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर, निजीकरण की प्राथमिक शर्त है। निजीकरण के बाद कंपनियों को राजस्व वसूली स्वतः मिलती रहेगी।
साथ ही, बड़े पैमाने पर संविदा कर्मियों की डाउनसाइजिंग की जा रही है। पहले की तुलना में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सबस्टेशन पर कर्मचारियों की संख्या आधी कर दी गई है।
सभा को ई. नीरज बिंद, कृष्णा सिंह, अंकुर पांडेय, ई. विजय सिंह, प्रवीण सिंह, अरविंद कुमार कौशदन सहित कई वक्ताओं ने संबोधित किया।

Author: Ujala Sanchar
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