वाराणसी: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले बिजली कर्मियों का आंदोलन लगातार 283वें दिन भी जारी रहा। प्रदेशव्यापी आंदोलन की तरह वाराणसी में भी बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया।

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि आगामी त्यौहारों—पितृ पक्ष, नवरात्र, रामलीला, दशहरा, दीपावली और छठ—को देखते हुए अगले दो माह उपभोक्ताओं की सेवा और बिजली आपूर्ति उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता रहेगी। समिति ने दोहराया कि आंदोलन किसानों और उपभोक्ताओं के हित में है और त्यौहारों में किसी प्रकार की असुविधा नहीं होने दी जाएगी।
इसी क्रम में समिति ने पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन से निजीकरण को लेकर पांच अहम सवाल पूछे—
- जब यूपी ट्रांसको को “स्टेट ट्रांसमिशन कंपनी ऑफ द ईयर” का पुरस्कार मिल चुका है और ट्रांसमिशन व्यवस्था देश की श्रेष्ठतम मानी जा रही है, तो सुधार कर रहीं पूर्वांचल व दक्षिणांचल वितरण कंपनियों का निजीकरण क्यों?
- घाटे के नाम पर निजीकरण का तर्क दिया जा रहा है, लेकिन चंडीगढ़ व दादरा नगर हवेली-दमन एवं दीव जैसे लाभ में चल रहे विद्युत विभागों का निजीकरण क्यों किया गया?
- दिल्ली में निजीकरण के 23 साल बाद भी उपभोक्ताओं से बिजली बिल पर 7% पेंशन सरचार्ज वसूला जा रहा है। उत्तर प्रदेश में निजीकरण के बाद उपभोक्ताओं से कितना सरचार्ज लिया जाएगा?
- निजीकरण के बाद कनेक्शन शुल्क मनमाने ढंग से वसूले जाएंगे? (उदाहरण: आगरा में टोरेंट पावर द्वारा 2 किलोवाट कनेक्शन के लिए 9 लाख रुपए वसूले गए)। क्या यही स्थिति यूपी में होगी?
- निजीकरण के बाद गरीब किसानों, बुनकरों और बीपीएल उपभोक्ताओं को सब्सिडी मिलती रहेगी या नहीं? (उदाहरण: ग्रेटर नोएडा में निजीकरण के 32 साल बाद भी किसानों को सब्सिडी नहीं मिलती)।
संघर्ष समिति ने ऐलान किया कि निजीकरण से जुड़ी उपभोक्ताओं और कर्मचारियों की समस्याओं पर हर सप्ताह पांच नए सवाल पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन से पूछे जाएंगे।
सभा को ई. मायाशंकर तिवारी, ई. एस.के. सिंह, ई. नीरज बिंद, राजेन्द्र सिंह, अंकुर पाण्डेय, कृष्णा सिंह, अरविंद कुमार, प्रवीण सिंह, रमेश कुमार, राजेश सिंह, मनोज जैसवाल, विवेक कुमार, बृजलाल, अनिल यादव सहित अन्य वक्ताओं ने संबोधित किया।

Author: Ujala Sanchar
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