सोनभद्र: राष्ट्रपति पदक प्राप्त शिक्षक राममूर्ति यादव की पुण्यतिथि पर बुधवार को हिनौता, मधुपुर स्थित उनके आवास पर स्मृति व्याख्यान माला एवं कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संयोजन उनके सुपुत्र शिक्षक बलराम कृष्ण यादव ने किया।
वक्ताओं ने उनके चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित करते हुए उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को याद किया। कवयित्री कौशल्या कुमारी चौहान ने “राह दिखा दे माँ, ज्योति जला दे माँ” जैसी रचनाओं से शुरुआत की। कवि प्रभात सिंह चंदेल ने “मजहब एक हिंदुस्तान होना चाहिए” सुनाकर देशभक्ति की हुंकार भरी।
प्रदुम्न त्रिपाठी एडवोकेट ने शहीदों की याद दिलाते हुए कहा—”पड़े जरूरत जब भी वतन को कफन बांध हम आयेंगे”, वहीं दिवाकर दिवेदी मेघ ने आदमी की संवेदनाओं पर मार्मिक रचना प्रस्तुत की।
अशोक तिवारी ने “तुमसे हमने प्यार किया और क्या किया” सुनाकर वाहवाही लूटी, जबकि गोपाल कुशवाहा ने “बुढ़िया माई” के माध्यम से बुजुर्गों का दर्द उकेरा। राधेश्याम पाल ने गजल “हूँ मुसाफिर चार दिन का, गाँव छोड़े जा रहा हूँ” सुनाकर सोचने पर मजबूर किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कौशल्या कुमारी चौहान व संचालन गोपाल कुशवाहा ने किया। इस अवसर पर कमल देव यादव इंजीनियर, कामता प्रसाद एडवोकेट, रामकिशन यादव, विनोद कुमार सिंह, रवि भूषण सिंह, बलराम यादव प्रधान, अनिल सिंह, नंदकिशोर, कमलेश कुमार सिंह, रामनरेश सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।

Author: Ujala Sanchar
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