गाजीपुर। शहर की मिश्रबाजार दवा मंडी, जो तीन दशक से व्यवसायियों और खरीदारों का केंद्र रही है, आज अपने भाग्य पर रो रही है। नगर पालिका गाजीपुर की लगभग 70 और निजी लोगों की 20 दवा दुकानें यहां संचालित हैं। नगर पालिका इन दुकानदारों से मासिक किराया वसूलती है, लेकिन कारोबारियों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।
ड्रग डीलर्स वेलफेयर सोसायटी गाजीपुर के महामंत्री अश्वनी राय ने बताया कि इतनी पुरानी दवा मंडी में आज तक सुलभ शौचालय का निर्माण नहीं हुआ, जिससे व्यापारी और ग्राहकों को मजबूर होकर खाली स्थानों पर शौच करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस समस्या के संबंध में नगर पालिका अध्यक्ष को अवगत कराया गया, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिला और कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
श्री राय ने आगे बताया कि स्ट्रीट लाइटें ठीक से काम नहीं करतीं, जिससे रात में मंडी में अंधेरा रहता है। पेयजल की सुविधा भी कमजोर है; जल निगम से केवल सुबह और शाम पानी आता है, जबकि दिनभर कारोबारी और ग्राहक बाहर से बोतल का पानी खरीदकर अपनी प्यास बुझाते हैं।
मंडी में खाली जगहों पर कूड़े का अंबार लगा हुआ है, जिससे बदबू और गंदगी बनी रहती है। उन्होंने बताया कि मंडी के दवा व्यवसायी लाखों रुपए टैक्स के रूप में देते हैं, लेकिन उनके लिए बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।
अश्वनी राय ने जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि दवा मंडी की समस्याओं का अतिशीघ्र समाधान कराया जाए, ताकि कारोबारियों और ग्राहकों को राहत मिल सके।
ब्यूरो चीफ– संजय यादव

Author: Ujala Sanchar
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