बलिया। मानवाधिकार आयोग उत्तर प्रदेश ने नगरा थाने से जुड़े एक गंभीर मामले में थानाप्रभारी अतुल कुमार मिश्रा सहित लगभग एक दर्जन पुलिसकर्मियों को दोषी मानते हुए उनके विरुद्ध कार्रवाई की सिफारिश की है। यह कार्रवाई नगरा निवासी भाजपा नेता देवनारायण प्रजापति की शिकायत पर की गई विस्तृत जांच रिपोर्ट के आधार पर की गई है।
मामले की शुरुआत 6 सितंबर 2023 को हुई थी, जब देवनारायण प्रजापति ने मानवाधिकार आयोग, उत्तर प्रदेश को प्रार्थनापत्र देकर शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि 13 अगस्त 2023 को थानाप्रभारी अतुल मिश्रा ने उन्हें थाने में बुलाकर अपने साथियों के साथ जानलेवा हमला किया, जिसमें उन्हें गंभीर चोटें आईं और वे बेहोश हो गए थे।
आयोग ने इस मामले को गंभीरता से संज्ञान में लेते हुए केस नंबर 15105/60/2023-24 के तहत जांच शुरू की। जांच की जिम्मेदारी निरीक्षक संतोष कुमार को सौंपी गई, जिन्होंने 151 पेज से अधिक दस्तावेजों की गहन पड़ताल की। जांच में यह पाया गया कि पीड़ित के साथ मानवाधिकार हनन हुआ है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि मेडिकल रिपोर्ट में जानबूझकर हल्की चोट (नील) दर्शाई गई थी, जबकि सरकारी चिकित्सक ने आंख और शरीर पर चोट की पुष्टि की थी। इन तथ्यों के आधार पर आयोग ने थानाप्रभारी अतुल कुमार मिश्रा, उपनिरीक्षक छुन्ना सिंह, मुन्ना लाल यादव, हेड कॉन्स्टेबल दीनानाथ राम, विवेक कुमार यादव, शिवम पटेल, राजकुमार, संतोष सिंह, अब्दुल हमीद, रामजीत यादव, अशैक कुमार, और प्रिंस प्रजापति को दोषी माना है।
जांच अधिकारी ने अपनी 23 पृष्ठों की आख्या रिपोर्ट मानवाधिकार आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति राजीव लोचन के माध्यम से आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति बालकृष्ण नारायण को प्रेषित की है। आयोग ने संबंधित पुलिसकर्मियों से 15 अक्टूबर 2025 तक डाक या ईमेल के माध्यम से अपना पक्ष प्रस्तुत करने को कहा है।
इस कार्रवाई की सूचना मिलते ही पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है। आयोग के आदेश के बाद अब इस प्रकरण में आगे की कानूनी प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है।

Author: Ujala Sanchar
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