गाजीपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सिद्धपीठ हथियाराम मठ, जखनियां पहुंचे, जहाँ उन्होंने माँ सिद्धिदात्री बुढ़िया माई के दर्शन-पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पवित्र पीठ लगभग 900 वर्षों से साधना और आस्था का केंद्र रही है, जहाँ ऋषियों ने तप कर माँ को प्रकट किया था।
मुख्यमंत्री ने इस तीर्थ स्थल को सन्यासी परंपरा की गौरवशाली धरोहर बताते हुए कहा कि “भारत की पहचान सदियों से एक धार्मिक और आध्यात्मिक राष्ट्र के रूप में रही है। हमारी संस्कृति त्याग, तपस्या और सेवा की प्रतीक है, और उसी चेतना से देश को आगे बढ़ाना होगा।”
आध्यात्मिक विरासत और राष्ट्र का संदेश
योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में कहा कि गाजीपुर की भूमि केवल धार्मिक नहीं, बल्कि भारत की सनातन संस्कृति और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि जब राष्ट्र की बात आती है, तो क्षेत्रवाद, परिवारवाद और भाषावाद से ऊपर उठकर सोचना चाहिए।
उन्होंने बताया कि गाजीपुर मेडिकल कॉलेज का नाम महर्षि विश्वामित्र के नाम पर रखा गया है, जो इस क्षेत्र की आध्यात्मिक विरासत को सम्मान देने का प्रयास है।
मुख्यमंत्री ने बक्सर, भगवान राम, जटायु और निषादराज के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत की परंपरा त्याग और तपस्या से जुड़ी है, यही इसकी असली शक्ति है।
धर्म, राष्ट्र और सेवा का संगम
कार्यक्रम में पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर भवानीनंदन यति जी महाराज ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को “भगवान के रूप में अवतरित संत” बताते हुए कहा कि हथियाराम मठ केवल एक तीर्थ नहीं, बल्कि राष्ट्र सेवा और आध्यात्मिक उत्थान का केंद्र है।
उन्होंने भावुक होते हुए एक संस्मरण साझा किया “योगी जी ने एक बार मुझे गाय का दूध दिया और कहा कि यह साधारण दूध नहीं, प्रसाद है। उस एक गिलास दूध से जो अनुभूति हुई, उसने 29 वर्षों की तपस्या को भी गौण कर दिया।”
वीरों का सम्मान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर 1965 के भारत-पाक युद्ध के परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद और 1971 के महावीर चक्र विजेता शहीद रामउग्रह पांडे के परिजनों को अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि “भारतीय संस्कृति हमें वीरों का सम्मान करना सिखाती है, और यह हमारी राष्ट्रीय जिम्मेदारी है।”