बलिया। दुबहड़ थाना क्षेत्र के शिवपुर दियर नई बस्ती व्यासी गांव में एक परिवार ने ऊंट और ऊंटनी पालन शुरू किया है। परिवार का ऊंटनी के प्रति इतना लगाव है कि आज यह उनके जीवन का अहम हिस्सा बन चुकी है। इसी कारण से यह गांव अब ‘ऊंट वाला गांव’ के नाम से भी जाना जाता है।
परिवार के सदस्य मोहर्रम अली का कहना है कि ऊंटनी का दूध किसी औषधि से कम नहीं। ऊंटनी बच्चा देने के बाद ही उनका दूध निकाला जाता है। मोहर्रम अली बताते हैं कि उनका परिवार यह दूध खुद पीता है और आसपास के लोगों को भी देता है। उनका कहना है कि ऊंटनी का दूध स्वाद में मीठा और बेहद पौष्टिक होता है और गाय या भैंस के दूध से अधिक फायदेमंद है।
मोहर्रम अली ने बताया कि ऊंटनी का दूध टीबी जैसी गंभीर बीमारियों में भी रामबाण साबित होता है। जब उनकी ऊंटनी ने बच्चा दिया था, तो देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी। गांव के बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं सभी ऊंटनी को देखने और उसके दूध का स्वाद चखने के लिए उत्साहित थे।
कई लोग ऊंटनी के दूध से चाय और दही बनाते हैं। इसके औषधीय गुणों और पौष्टिकता के कारण ऊंटनी का दूध हजारों रुपए प्रति लीटर तक बिकता है।









