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चोलापुर शहीद स्मारक पर अब भी नहीं लहराया सबसे ऊंचा तिरंगा, शहीदों के सम्मान में क्षेत्रवासियों की मांग तेज

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वाराणसी। आज़ादी के 75 वर्ष से अधिक बीत जाने के बाद भी वाराणसी जनपद के चोलापुर स्थित ऐतिहासिक शहीद स्मारक पर अब तक ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज नहीं लगाया गया है। क्षेत्रवासी और स्थानीय किसान लंबे समय से कम से कम 101 फीट ऊंचा तिरंगा लगाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार या प्रशासन की ओर से ठोस कदम अब तक नहीं उठाए गए।

चोलापुर का यह स्थल इतिहास के उन पन्नों में दर्ज है, जहां 17 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान स्थानीय स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजी शासन के प्रतीक ब्रिटिश झंडे को फाड़कर जला दिया था। उनका उद्देश्य स्पष्ट था—इस धरती पर केवल भारत का राष्ट्रीय ध्वज लहराना चाहिए। इस साहसिक कदम के जवाब में अंग्रेजी पुलिस ने बर्बरता दिखाते हुए पांच देशभक्तों को गोलियों से भून डाला।

नेताओं के वादे अधूरे, सम्मान की प्रतीक्षा जारी

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सहित कई बड़े नेता वर्षों में इस शहीद स्थल का दौरा कर चुके हैं। नेताओं ने क्षेत्रवासियों से कई आश्वासन दिए, लेकिन शहीदों के सम्मान में प्रतीकस्वरूप ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज लगाने का वादा अब तक पूरा नहीं हुआ।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जब देश की आज़ादी की लड़ाई में चोलापुर के वीरों ने झंडा फहराने के लिए प्राण न्योछावर किए, तो आज़ाद भारत में उनके सम्मान में 101 फीट का तिरंगा लगाना हमारा नैतिक कर्तव्य है।

17 अगस्त को पुलिस सलामी कार्यक्रम भी नहीं होता

क्षेत्रवासियों ने यह भी नाराज़गी जताई कि 17 अगस्त, जो चोलापुर के बलिदान दिवस के रूप में इतिहास में दर्ज है, उस दिन पुलिस प्रशासन द्वारा शहीदों को श्रद्धांजलि या सलामी देने का कोई औपचारिक कार्यक्रम नहीं आयोजित किया जाता। जबकि शहीद स्मारक थाने के ठीक बगल में बना है और इस परिसर में ही अंग्रेजों की गोलियां गिरी थीं।

क्षेत्रवासियों की मांग

  1. चोलापुर शहीद स्मारक पर वाराणसी जिले का सबसे ऊंचा तिरंगा लगाया जाए।
  2. हर वर्ष 17 अगस्त को पुलिस प्रशासन द्वारा शहीदों को सलामी दी जाए और औपचारिक कार्यक्रम आयोजित हो।
  3. शहीदों के बलिदान को स्कूलों और समाज में शिक्षात्मक रूप से प्रचारित किया जाए।

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