सोनभद्र: केंद्र सरकार द्वारा 21 नवंबर 2025 को चारों श्रम संहिताओं को लागू किए जाने के विरोध में बुधवार को श्रमिक संगठनों के संयुक्त मंच ने पिपरी स्थित उप श्रमायुक्त कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया। श्रमिक नेताओं ने महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन डीएलसी के माध्यम से भेजा और मांग की कि मजदूर विरोधी एवं मालिक समर्थक इन श्रम संहिताओं को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए।

“44 केंद्रीय श्रम कानून खत्म कर बनाए गए 4 संहिता”
श्रमिक संगठनों ने कहा कि आजादी से पहले और बाद के लंबे संघर्षों के बाद मजदूरों ने जो 44 केंद्रीय श्रम कानून प्राप्त किए थे, उनमें से 29 कानूनों को समाप्त कर केंद्र सरकार ने उन्हें चार श्रम संहिताओं में बदल दिया। देशभर के बड़े–छोटे श्रमिक संगठनों के विरोध के कारण केंद्र सरकार अब तक संहिताओं को लागू नहीं कर पाई थी, लेकिन अब इन्हें एकतरफा और अलोकतांत्रिक तरीके से लागू कर दिया गया है, जिससे मजदूरों में भारी आक्रोश है।
संगठनों ने जताई गंभीर आपत्तियाँ
श्रमिक नेताओं ने कहा कि इन संहिताओं के लागू होने से—
- बड़े पैमाने पर छंटनी,
- 12 घंटे की ड्यूटी,
- महिलाओं को रात की शिफ्ट में काम की मजबूरी,
- बेरोजगारी व शोषण में वृद्धि,
- स्थाई रोजगार का समाप्त होना,
- ट्रेड यूनियन अधिकारों में कमी,
- हड़ताल व संगठन बनाने के अधिकारों का हनन,
- वेतन और सामाजिक सुरक्षा लाभों (पेंशन, ग्रेच्युटी, बोनस, पीएफ, बीमा आदि) में कटौती
—जैसी गंभीर परिस्थितियाँ उत्पन्न होंगी, जिससे मेहनतकश वर्ग का भविष्य संकट में पड़ जाएगा।
10 सूत्री मांगों का समाधान भी मांगा
ज्ञापन में श्रमिकों ने लंबित 10 सूत्री मांगों के समाधान की भी मांग की, जिनमें प्रमुख हैं—
- चारों श्रम संहिताएँ वापस हों
- मजदूरों को ₹26,000 न्यूनतम मासिक वेतन
- श्रम कानूनों का कड़ाई से पालन
- पुरानी पेंशन बहाली
- बिजली–स्वास्थ्य–शिक्षा के निजीकरण पर रोक
- नियमित कार्य करने वाले संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए
- यूपी के बिजली कर्मचारियों का उत्पीड़न रोका जाए
- मनरेगा में 200 दिन काम और ₹600 दैनिक मजदूरी
- स्कीम वर्करों को राज्य कर्मचारी का दर्जा व ₹26,000 मानदेय
- आउटसोर्स व संविदा कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन व PF–ESI का लाभ
साथ ही ई-श्रम व बीओसी बोर्ड में पंजीकृत सभी श्रमिकों को आयुष्मान कार्ड देने की भी मांग उठाई गई।
“मजदूरों की बात न मानी गई तो आंदोलन तेज होगा”
इंटक जिला अध्यक्ष हरदेवनारायण तिवारी, सीटू नेता विशंभर सिंह, सुरेंद्र पाल, कामरेड लालचंद ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने मजदूरों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी।
कामरेड राजेंद्र, शमीम अख्तर, खान-गुड्डू उपाध्याय, द्वारिका प्रसाद चंद्रवंशी सहित अन्य नेताओं ने कहा कि सरकार को मजदूरों की लंबित मांगों का तत्काल समाधान करना चाहिए।
सभा में मौजूद रहे
सभा में राजेश, प्रदीप कुमार सिंह, राजाराम भारती, राजपति साहनी, नवाज खान, कामरेड नीलम देवी, शिव प्रसाद खरवार, हरिशंकर गौड़, शंकर भारती, लालजी साहनी, कौशल्या देवी, मुन्नी देवी, कुंती देवी, कामरेड दीपक सहित बड़ी संख्या में मजदूर व पदाधिकारी उपस्थित रहे।










