वाराणसी। उत्तर प्रदेश में बिजली निजीकरण के खिलाफ चल रहा संघर्ष आज 366वें दिन भी जारी रहा। प्रदेश भर की तरह बनारस में भी विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले बिजली कर्मियों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। आंदोलन अपने दूसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है और कर्मियों ने साफ कहा है कि निजीकरण का निर्णय निरस्त होने तक संघर्ष जारी रहेगा।

दूसरे वर्ष में भी जारी रहेगा आंदोलन—कर्मियों का ऐलान
वक्ताओं ने बताया कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में यह आंदोलन लगातार चल रहा है। बिजली कर्मियों का कहना है कि उन्हें प्रदेश ही नहीं, बल्कि देशभर से समर्थन मिल रहा है। कर्मचारियों ने कहा कि अब आंदोलन को किसानों और उपभोक्ताओं को साथ लेकर और भी व्यापक बनाया जाएगा, ताकि सरकार निजीकरण का निर्णय वापस लेने पर मजबूर हो।
पावर कॉर्पोरेशन पर झूठे आंकड़ों का आरोप
संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन झूठे घाटे के आंकड़े दिखाकर प्रदेश के 42 जिलों में निजीकरण की राह प्रशस्त करना चाहता है। कर्मियों ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग पहले ही इन गलत आंकड़ों को अस्वीकार कर चुका है, इसलिए इन आंकड़ों के आधार पर तैयार किया गया निजीकरण का आरएफपी डॉक्यूमेंट स्वतः अवैध हो जाता है। संघर्ष समिति ने मांग की कि इस डॉक्यूमेंट को तत्काल निरस्त किया जाए।
जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग
समिति ने यह भी कहा कि झूठे आंकड़ों के आधार पर आरएफपी तैयार करने वाले तत्कालीन निदेशक (वित्त) और पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन पर कार्रवाई होनी चाहिए।
आंदोलन तेज करने की तैयारी
कर्मियों ने बताया कि आंदोलन के दूसरे वर्ष में संघर्ष को और तेज करने के लिए विस्तृत कार्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं, जिन्हें अगले सप्ताह घोषित किया जाएगा।
इन नेताओं ने किया संबोधित
सभा को अंकुर पांडेय, राजेश सिंह, मनोज जायसवाल, अमित सिंह, पंकज यादव, सूरज रावत, विकास ठाकुर, एस.के. सरोज, धनपाल सिंह, राजेश पटेल, योगेंद्र कुमार, प्रवीण सिंह और ब्रिज सोनकर सहित कई नेताओं ने संबोधित किया।






