गाजीपुर। विश्व एड्स दिवस के अवसर पर राजकीय गाजीपुर होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज, रोजा में एक जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें कॉलेज के सभी शिक्षक एवं विद्यार्थी शामिल हुए। इस वर्ष विश्व एड्स दिवस 2025 की थीम रही “बाधाओं को पार करते हुए, एड्स प्रतिक्रिया में बदलाव लाना”

इस थीम का उद्देश्य एड्स से लड़ाई में मौजूद बाधाओं—जैसे स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, सामाजिक असमानताएं, भेदभाव और कलंक—को पहचानते हुए नई रणनीति और प्रतिबद्धता के साथ वैश्विक प्रयासों को तेज करना है। 2030 तक एड्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में समाप्त करने का लक्ष्य इसी के केंद्र में है।
इस अवसर पर प्राचार्य एवं सामाजिक एवं निवारक चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजेंद्र सिंह ने विद्यार्थियों को एड्स और एचआईवी संक्रमण के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस) शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को धीरे-धीरे कमजोर कर देता है, जिससे मरीज सामान्य बीमारियों से भी मुकाबला नहीं कर पाता। यह संक्रमण आगे चलकर एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनोडिफिशिएंसी सिंड्रोम) का रूप ले सकता है।
डॉ. सिंह ने कहा कि विश्व एड्स दिवस का उद्देश्य लोगों में जागरूकता बढ़ाना, संक्रमित व्यक्तियों के जीवन को बेहतर बनाना और उन्हें सामाजिक भेदभाव से बचाना है। उन्होंने यह भी बताया कि एचआईवी की शुरुआती पहचान और समय पर उपचार बेहद महत्वपूर्ण है। जितनी जल्दी संक्रमण का पता चलता है, उपचार के परिणाम उतने बेहतर होते हैं।
कार्यशाला में विद्यार्थियों को यह भी बताया गया कि एचआईवी कैसे फैलता है, इससे कैसे बचा जा सकता है, और किस प्रकार जानकारी और जागरूकता के माध्यम से इस बीमारी को रोका जा सकता है।
इस दौरान स्वस्थ यौन व्यवहार, स्वस्थ जीवन शैली, तथा युवाओं में प्रचलित गलत धारणाओं और भ्रांतियों पर भी विस्तार से चर्चा की गई।कार्यक्रम के अंत में यह संदेश दिया गया कि “डरना नहीं, समझना होगा… तभी एड्स को खत्म करने के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकेगा।”
ब्यूरोचीफ – संजय यादव









