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वाराणसी: निजीकरण के विरोध में 383वें दिन भी बिजलीकर्मियों का प्रदर्शन, संविदाकर्मियों की बहाली की मांग

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वाराणसी: निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन के 383वें दिन भी बनारस में बिजलीकर्मियों का जोरदार प्रदर्शन जारी रहा। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले प्रदेश भर के अन्य जनपदों की तरह वाराणसी में भी बिजली कर्मचारियों ने व्यापक विरोध प्रदर्शन किया और मानकों के अनुरूप संविदाकर्मियों की तत्काल नियुक्ति की मांग की।

संघर्ष समिति ने कहा कि संविदाकर्मियों की छंटनी से सरकार की महत्वपूर्ण ओटीएस (वन टाइम सेटलमेंट) योजना प्रभावित हो रही है। स्टाफ की कमी के कारण उपभोक्ताओं तक ओटीएस की सही जानकारी नहीं पहुंच पा रही है, जिससे बड़ी संख्या में उपभोक्ता इस योजना से वंचित हो रहे हैं। साथ ही, इसका सीधा असर बिजली आपूर्ति व्यवस्था पर भी पड़ना तय है।

वक्ताओं ने बताया कि बनारस सहित पूर्वांचल के 8 मंडलों में लगभग 1200 संविदाकर्मियों की छंटनी से बिजली व्यवस्था चरमराने की स्थिति में है। संघर्ष समिति ने मांग की कि ऊर्जा प्रबंधन मानकों के अनुसार संविदाकर्मियों की अविलंब तैनाती करे, ताकि मुख्यमंत्री के संकल्पों को पूरा किया जा सके।

राष्ट्रव्यापी आंदोलन की चेतावनी

वक्ताओं ने जानकारी दी कि 14 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली स्थित बी.टी. रणदीवे भवन में बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की राष्ट्रीय समन्वय समिति नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स (NCCOEEE), केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच और संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के राष्ट्रीय नेतृत्व की एक ऐतिहासिक बैठक हुई।

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (AIPF) के चेयरमैन एवं संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि बैठक में बिजली के निजीकरण, प्रीपेड स्मार्ट मीटर और ड्राफ्ट विद्युत (संशोधन) बिल–2025 पर गंभीर चर्चा हुई। उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण के प्रयासों पर भी गहरी चिंता जताई गई।

प्रमुख मांगें

बैठक में केंद्र सरकार के समक्ष सर्वसम्मति से कई मांगें रखी गईं, जिनमें शामिल हैं:

  • ड्राफ्ट विद्युत (संशोधन) बिल–2025 को तत्काल वापस लिया जाए
  • परमाणु ऊर्जा अधिनियम और नागरिक परमाणु क्षति दायित्व अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों की वापसी
  • प्रीपेड स्मार्ट मीटर योजना पर तत्काल रोक
  • चंडीगढ़, दिल्ली और ओडिशा सहित सभी निजीकरण/फ्रेंचाइजी मॉडल समाप्त किए जाएं
  • उत्तर प्रदेश में पीवीवीएनएल और डीवीवीएनएल के निजीकरण प्रयास रोके जाएं
  • किसानों और सभी उपभोक्ताओं के लिए बिजली के अधिकार व क्रॉस-सब्सिडी की रक्षा
  • देशभर में बिजली टैरिफ कम करने के ठोस कदम

नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि केंद्र और राज्य सरकारों ने निजीकरण के प्रयास और ड्राफ्ट विद्युत (संशोधन) बिल वापस नहीं लिया, तो जनवरी–फरवरी 2026 में देशभर में बड़े सम्मेलन, रैलियां और अंततः राष्ट्रव्यापी सेक्टोरल हड़ताल की जाएगी।

सभा को इंद्रेश राय, अंकुर पांडेय, संदीप कुमार, हेमंत श्रीवास्तव, राजेश सिंह, मनोज जैसवाल, कांता सिंह, मनोज यादव, आशुतोष पांडेय, उमेश यादव और कृपाल सिंह सहित कई वक्ताओं ने संबोधित किया।

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